भारत के लिए गोल्ड जीतने वाले खिलाड़ी को बेचने पड़ रहे मिट्टी के घड़े, ये है असली वजह

रवि कुमार ने अब तक पैराएथलीट चैंपयिनशिप में स्टेट, नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर कई पदक जीते हैं। बावजूद उन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिली। लेकिन, इसका उन्हें जरा भी मलाल नहीं है। रवि कुमार का कहना है कि अपना कर्म करते रहना चाहिए, फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए।

Asianet News Hindi | Published : Jul 26, 2020 2:24 PM IST / Updated: Jul 27 2020, 07:57 AM IST

स्पोर्ट्स । इंटरनेशनल पदक विजेता  रवि कुमार को कोरोना काल में मिट्टी के घडे़ बेचना पड़ रहा है। लेकिन, उसके हौसले अभी भी बुलंद हैं। वग 2022 में होने वाले एशियन चैंम्पियनशिप मेडल लाने का सपना देख रहा है। जी हां हम बात कर रहे हैं पैराएथलीट चैंपियन रवि कुमार की, जो इन दिनों टीम इंडिया की टी शर्त पहनकर मिट्टी का घड़ा बेचने को मजबूर हैं। वे कहते हैं कि अपना कर्म करते रहना चाहिए, फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए।

देखने वाले हो जा रहे हैरान
मेरठ निवासी पैराएथलीट चैंपियन रवि कुमार 50 फीसदी शरीर लकवाग्रस्त है। लेकिन, रवि कुमार ने 2019 में वर्ल्ड पैराएथलीट चैंपिनयनशिप में 65 देशों खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए 100मीटर रेस में स्वर्ण पदक जीता। मगर, अब कोरोना काल में अपने डाइट का खर्च निकालना भी मुश्किल पड़ रहा था। लिहाजा इसने घड़े बेचना शुरू कर दिया। टीम इंडिया की टीशर्ट और हाथ में मिट्टी का घड़ा देखकर हर कोई हैरान रह जाता है।

2022 में मेडल लाने का सपना
रवि कुमार कहते हैं कि हर वक्त एक जैसा नहीं होता। ऊंच-नीच जीवन में लगा रहता है। रवि का कहना है कि 2022 में होने वाले एशियन चैंम्पियनशिप की वह तैयारी कर रहे हैं और देश को मेडल हर हाल में देंगे। हालात चाहे जैसे हो।

काशः मिल जाती सरकारी मदद
रवि कुमार ने अब तक पैराएथलीट चैंपयिनशिप में स्टेट, नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर कई पदक जीते हैं। बावजूद उन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिली। लेकिन, इसका उन्हें जरा भी मलाल नहीं है। रवि कुमार का कहना है कि अपना कर्म करते रहना चाहिए, फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए।

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