4-20 फरवरी के बीच आयोजित बीजिंग विंटर ओलंपिक ओलंपिक (Beijing Winter Olympics) को लेकर दुनियाभर में विरोध रहा है। चीन द्वारा दूसरों की जमीन पर कब्जा करने और मानवाधिकारों के हनन को लेकर ये राजनीतिक, कूटनीतिक और जन विरोध हो रहे हैं। तिब्बती स्टूडेंट्स ने भी इसका विरोध किया है।
वर्ल्ड न्यूज डेस्क. चीन में 4-20 फरवरी के बीच आयोजित बीजिंग विंटर ओलंपिक ओलंपिक (Beijing Winter Olympics) को लेकर दुनियाभर में विरोध रहा है। चीन द्वारा दूसरों की जमीन पर कब्जा करने और मानवाधिकारों के हनन को लेकर ये राजनीतिक, कूटनीतिक और जन विरोध हो रहे हैं। तिब्बती स्टूडेंट्स ने भी इसका विरोध किया है।
चीन की हरकतों का विरोध
हिमाचल प्रदेश में तिब्बती स्टूडेंटस (Students for Tibet SFT) ने अलग अंदाज में चीन का विरोध जताया। SFT से जुड़े तेनजिन पासांग ने कहा ANI से कहा-'' मैं न केवल तिब्बत में बल्कि चीन के कब्जे वाले सभी देशों में सभी राजनीतिक बंदियों का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं। हम बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक 2022 के उद्घाटन का विरोध कर रहे हैं।'
लगातार विवादों में घिरा हुआ है बीजिंग ओलंपिक
ओलंपिक को राजनीति से दूर रखने का वादा निभाने में चीन नाकाम रहा है। इस आयोजन यानी विंटर टॉर्च ओलंपिक रिले(Winter Olympics Torch Relay) का एक मशाल वाहक(torchbearer) उस सैन्य अधिकारी को भी बनाया गया था, जो गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में बुरी तरह घायल हुआ था। चीनी मुखपत्र द ग्लोबल टाइम्स(Chinese government mouthpiece, the Global Time) के अनुसार, इसमें पीएलए शिनजियांग मिलिट्री कमांड के रेजिमेंटल कमांडर क्यूई फैबाओ(Chinas PLA regiment commander Lt Col Qi Fabao) ने 4 बार के शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्कैटिंग चैम्पियन वांग मेंग(Wang Meng) से टॉर्च ली।
भारत ने किया बॉयकाट
दूरदर्शन बीजिंग विंटर अेलिंपिक का लाइव टेलीकास्ट नहीं करेगा। प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर ने एक ट्वीट कर यह जानकारी दी। वहीं, भारत ने डिप्लोमैटिक बायकॉट किया है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को जानकारी देकर कहा था कि भारत ने यह फैसला चीन की तरफ से खेलों के टॉर्च रिले में एक ऐसे कमांडर ‘की फाबाओ’ को मशाल सौंपने पर लिया है।
दुनियाभर के देशों ने किया बहिष्कार
चीन द्वारा मानवाधिकार के उल्लंघन के चलते अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई पश्चिमी देशों ने बीजिंग विंटर ओलिंपिक का राजनयिक बहिष्कार किया है। ये देश अपने खिलाड़ियों को तो चीन भेज रहे हैं, लेकिन किसी राजनयिक को नहीं। अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई पश्चिमी देशों ने शिनजियांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों को उजागर करने के लिए अपने राजनयिकों द्वारा इस आयोजन का बहिष्कार करने की घोषणा की है। उनका कहना है कि शिनजियांग में शिविरों में एक लाख से अधिक उइगर मुसलमान कैद हैं। चीन शिनजियांग में बनाए गए शिविरों में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप से इनकार करता है।pic.twitter.com/eZFAOgNj8Q
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