टोक्यो ओलंपिकः सबसे उम्रदराज जीवित चैंपियन जिनको डेब्यू के लिए तीन ओलंपिक इंतजार करना पड़ा

केलेटी ओलंपिक की तैयारियों में व्यस्त थीं। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध ने भारी उथल-पुथल मचा दिया। केलेटी का अपना देश नाजी कब्जे में आ गया और अपने यहूदी वंश के कारण, केलेटी को जीवित रहने के लिए छिपकर रहना पड़ा। यहां तक की अपनी पहचान छुपाकर रहना पड़ा। 

टोक्यो। इतिहास हर कोई नहीं गढ़ सकता। जीवन की झंझावतों पार करते हुए जो समय से आंख मिलाए वही विजेता होता। कम से कम 101 साल पूरी कर रही ओलंपिक विजेता एग्नेस केलेटी के लिए तो यह कहा ही जा सकता है। तैयारियों के बावजूद तीन-तीन ओलंपिक छोड़ना पड़ा। चौथे ओलंपिक में पहुंची लेकिन उम्र अधिक हो चुकी थी। लेकिन हार नहीं मानी और देश के लिए कई गोल्ड जीत इतिहास के सुनहरे पन्नों में अपना नाम दर्ज करा किदवंती बन गई।  
दुनिया की सबसे उम्रदराज ओलंपिक चैंपियन सौ साल की हो गई हैं। ओलंपिक में विजेता बनने और लंबे जीवन राज उनसे पूछा जाए तो उनका जवाब हर कोई के लिए गुरुमंत्र हो सकता है। 
वह कहती हैं कि ‘आपको जीवन से प्यार करना है और हमेशा अच्छे पक्ष को देखना है।‘ वह कहती हैं मेरे जीवन के 100 वर्षाें का रहस्य यही है। 101 साल की ओलंपिक चैंपियन केलेटी के यह शब्द एक ऐसा दर्शन है जिसने उनको उपलब्धि, त्रासदी, लचीलापन और हानि के क्षणों से भरे जीवन को आगे बढ़ाया। 

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बेहद अभाव और त्रासदियों वाला रहा है केलेटी का जीवन

खेल जीवन का शानदार आगाज केलेटी ने करीब 16 साल की उम्र में राष्ट्रीय जिम्नास्ट चैंपियन बनकर की थी। लेकिन इस युवा जिमनास्ट को शायद ही यह अंदाजा होगा कि आने वाले साल उसके लिए व्यवधान और अराजकता लेकर आ रहे हैं, जो उनके शानदार करियर को प्रभावित करने जा रहा।

केलेटी ओलंपिक की तैयारियों में व्यस्त थीं। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध ने भारी उथल-पुथल मचा दिया। केलेटी का अपना देश नाजी कब्जे में आ गया और अपने यहूदी वंश के कारण, केलेटी को जीवित रहने के लिए छिपकर रहना पड़ा। यहां तक की अपनी पहचान छुपाकर रहना पड़ा। हालात इतने बिगड़ गए थे कि उनके पिता और कई अन्य रिश्तेदार एक शिविर में मारे गए। वह, उनकी मां और बहन किसी तरह बच सके।

एक बार फिर किस्मत ने दगा दे दिया

द्वितीय युद्ध समाप्त होने के बाद केलेटी ने अपने जिमनास्टिक करियर में लौटने का फैसला किया। उनकी निगाहें एक बार फिर ओलिंपिक में भाग लेने पर टिकी थीं। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। 1948 के लंदन ओलंपिक से केलेटी को बाहर जाना पड़ा। वजह, लिगामेंट की चोट और इसको लेकर विवाद। केलेटी का यह तीसरा ओलंपिक था जिससे वह बाहर हो रही थी और टूट रहा था उनका सपना। 

उम्र बढ़ रही थी लेकिन हौसला बुलंद 

लंदन ओलंपिक से बाहर होने के बाद केलेटी टूटी लेकिन खुद को संभाला। फिर तैयारियों में जुट गई। चार साल फिर मेहनत। और फिर आया हेलसिकी ओलंपिक 1952। लगातार तीन ओलंपिक का सपना टूटने के बाद केलेटी के लिए यह शानदार क्षण था। क्योंकि इस बार वह नियति को बदल चुकी थी। केलेटी ने ओलंपिक में डेब्यू किया। 

परंतु बहुत युवा खिलाड़ी थे प्रतिद्वंद्वी

केलेटी का सपना तो साकार होने जा रहा था लेकिन उम्र की बात करें तो उनकी उम्र 31 साल थी और प्रतिद्वंद्वियों की उम्र औसत 23 थी।

हौसले और मेहनत ने साबित कर दिया कि उम्र कोई बाधा नहीं

हेलसिकी ओलंपिक केलेटी के लिए यादगार और हर त्रासदी पर भारी पड़ने जा रहा था। यह उनके जीवन का शायद सबसे आनंदायक क्षण बन रहा था जिसकी पूरी दुनिया गवाह बनी। केलेटी ने फिनलैंड की राजधानी में इतिहास बनाया। एक स्वर्ण पदक, एक रजत और दो कांस्य जीतकर सारी बाधाओं को पार कर लिया। 
1956 में मेलबर्न ओलंपिक में उन्होंने दुनिया को एक बार फिर साबित किया। महान सोवियत जिमनास्ट लॉरिस लैटिनिना के रिकार्ड को तोड़ते हुए छह पदक हासिल कर इतिहास रच दिया। इन पदकों में चार स्वर्ण पदक थे। 

जीतने के लिए नहीं बल्कि आप खेलिए क्योंकि उससे प्यार करते 

सौ साल की उम्र पार कर चुकी केलेटी नवोदित खिलाडि़यों को संदेश देती हैं, आप जीतने के लिए ध्यान केंद्रित कर मत खेलिए, बल्कि खेलिए इसलिए क्योंकि आप उससे प्यार करते हैं। एग्नेस केलेटी का जीवन से नए खिलाडि़यों के लिए प्रेरणास्रोत है कि कैसे कोई व्यक्ति विपत्ति से जूझते हुए अपना महान प्रदर्शन कर सकता है। 

राजनीतिक उथलपुथल में देश तक छोड़ना पड़ा

सबसे उम्रदराज ओलंपिक खिलाड़ी एग्नेस केलेटी का जन्म 9 जनवरी 1921 को हंगरी के बुडापेस्ट में हुआ था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उनको जीवित रहने के लिए ईसाई नौकरानी बनकर रहना पड़ा था। हालांकि, बाद में राजनीतिक हालात की वजह से उनको देश तक छोड़ना पड़ा।

1959 में शादी करने के बाद उन्होंने तेल अवीव विश्वविद्यालय और नेतन्या में स्पोर्ट्स के विंग इंस्टीट्यूट में ट्रेनर के रूप में काम किया। इजरायल में उन्होंने जिमनास्टिक को लोकप्रिय बनाया। हालांकि, करीब 59 साल बाद केलेटी ने 2015 में अपने देश हंगरी वापस लौटीं। करीब 94 साल की उम्र में वह हंगरी के बुडापेस्ट में रहने लगी। 

टोक्यो ओलंपिक का आगाज होने वाला है। ओलंपिक के इतिहास की सबसे उम्रदराज जीवित चैंपियन केलेटी ही हैं, जिनसे हर खिलाड़ी प्रेरित हो सकेगा। 
 

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