पहले कुआं खोदा दो 10 फीट नीचे पत्थर आ गया। उसे छोड़ फिर दूसरा कुआँ खोदा तो वहां भी आठ नौ फीट नीचे पत्थर आ गया। इसके बाद तीसरा कुआँ खोदा तो 15 फीट की गहराई पर पानी निकला।
डांग (गुजरात). दशरथ माँझी जिन्हें “माउंटेन मैन” के रूप में भी जाना जाता है, बिहार में गया के करीब गहलौर गांव के एक गरीब मजदूर थे। केवल एक हथौड़ा और छेनी लेकर इन्होंने अकेले ही 360 फुट लंबी 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काट के एक सड़क बना डाली। उनकी कहानी पर आई बॉलीवुड पर फिल्म ‘मांझी’ तो याद ही होगी। ठीक ऐसा ही एक मामला गुजरात के डांग क्षेत्र में सामने आया है। यहां के किसान ने पानी के लिए सरकार से कुआं खोदने के लिए मदद की आस रखी थी लेकिन काफी समय बितने के बाद भी मदद नहीं मिलने पर खुद ही कुदाली-फावडा लेकर जुट गए। पानी की आश में एक नहीं बल्कि पांच बार कुएं खोदने पड़े। और अंत में पांचवी बार की खुदाई में 32 फीट गहराई के बाद उन्हें सफलता मिली। किसान गंगाभाई की इस मेहनत की चारों ओर चर्चा की जा रही है। लोग उनकी मेहनत को देखने के लिए गांव आ रहे है।
देश में कई क्षेत्र ऐसे रहे है जहां जो सरकारी योजना या मदद पहुंच नहीं पाती है या फिर किसी कारणवश रास्ते में अटकी पड़ी रहती है। वजह जो भी रही हो लेकिन अंत में आम आदमी ही परेशानी देखनी पड़ती है। डांग के वासुर्णा गांव के किसान गंगाभाई जीवल्याभाई पवार को खेती के लिए पानी प्राप्त करने कुएं की जरूरत थी। पानी नहीं मिलने पर खेती असंभव थी। क्योंकि यहां तक सरकार की मदद से पानी पहुंचता नहीं था। कुआं खोलने के लिए उन्होंने सरपंच के समक्ष 20 वर्ष तक पेशकश की। लेकिन कोई हल नहीं आया।
अंत में 60 साल के गंगाभाई ने खूद ही कुआं खोदने का निर्णय लिया और कुदाली-फावडा लेकर जुट गए। लेकिन सफलता अभी भी काफी दूर थी। पहले कुआं खोदा दो 10 फीट नीचे पत्थर आ गया। उसे छोड़ फिर दूसरा कुआँ खोदा तो वहां भी आठ नौ फीट नीचे पत्थर आ गया। इसके बाद तीसरा कुआँ खोदा तो 15 फीट की गहराई पर पानी निकला। लेकिन उसे भी सिंचाई योजना में अन्य किसान के दिए जाने से गंगाबाई ने चौथा कुआँ खोदने का काम शुरू किया। लेकिन 15 फीट के नीचे यहां भी पत्थर आ गए। इसके बाद भी उनका जोश खत्म नहीं हुआ और उनका पांचवा कुआँ खोदा और यहां 32 फीट की खुदाई के बाद उनकी मेहनत रंग लाई और कुएं से पानी निकला।
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