76 साल से बिना कुछ खाये-पीये जिंदा थे ये तपस्वी, 12 साल की उम्र से कर रहे थे साधना, अब त्यागी देह

गुजरात की जाने-माने तपस्वी चुंदडी वाले माताजी का 88 साल की उम्र में सोमवार देर रात निधन हो गया। उन्होंने रात करीब 2 बजे अपने गांव चराडा में अंतिम सांस ली। 12 साल की उम्र से तपस्या में लीन माताजी ने 76 साल पहले अन्न-जल छोड़ दिया था। वे योगा के जरिये खुद को चुस्त-दुरस्त रखती थे। उनका मूल नाम प्रहलाद जानी था। उनके प्रशंसकों में बाल ठाकरे से लेकर नरेंद्र मोदी तक रहे हैं। माताजी विज्ञान के लिए एक चुनौती थे कि कैसे वे बिना अन्न-जल के जीवित रहे।

Asianet News Hindi | Published : May 26, 2020 7:31 AM IST / Updated: May 26 2020, 01:03 PM IST

अहमदाबाद, गुजरात. यहां के अंबा माताजी मंदिर के पास गब्‍बर पर्वत पर पिछले कई सालों से आश्रम बनाकर रह रहे जाने-माने तपस्वी चुंदडी वाले माताजी ने 88 साल की उम्र में सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात करीब 2 बजे अंतिम सांस ली। 12 साल की उम्र से तपस्या में लीन माताजी ने 76 साल पहले अन्न-जल छोड़ दिया था। वे योगा के जरिये खुद को चुस्त-दुरस्त रखती थे। उनका मूल नाम प्रहलाद जानी था। उनके प्रशंसकों में बाल ठाकरे से लेकर नरेंद्र मोदी तक रहे हैं। माताजी विज्ञान के लिए एक चुनौती थे कि कैसे वे बिना अन्न-जल के जीवित रहे। उनकी पार्थिव देह को 26 और 27 मई तक अंबाजी में भक्तों के दर्शन के लिए रखी जाएगी। 28 मई को उन्हें समाधि दी जाएगी।

वेशभूषा बन गई थी पहचान
चुंदडी वाले माताजी हमेशा लाल कपड़े पहनते थे। नाक में नथनी, हाथों में चूड़ियां और कंगन उनकी पहचान बन गए थे। इसी कारण से उनका नाम माताजी पड़ गया था। बताते हैं कि प्रहलाद जानी का रुझान बचपन से ही आध्यात्म की ओर था। इसके बाद वे अंबाजी में गब्‍बर पर्वत पर आकर रहने लगे। उन पर कई वैज्ञानिकों ने रिसर्च कीं, ताकि पता लगे कि बगैर अन्न-जल के कोई कैसे जीवित रह सकता है। हालांकि पता नहीं चल सका।

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