असम विधानसभा के बाहर कांग्रेस MLA ने हथेली काटी, खून से लिखकर किया सरकार का विरोध

कांग्रेस विधायक रूपज्योति कुर्मी ने मंगलवार को असम विधानसभा परिसर में अपनी हथेली काट ली और बंद पड़े उद्योगों को बेचने के राज्य सरकार के फैसले खिलाफ खून से लिखकर अपना विरोध प्रदर्शित किया

Asianet News Hindi | Published : Dec 3, 2019 2:47 PM IST / Updated: Dec 03 2019, 08:24 PM IST

गुवाहाटी: कांग्रेस विधायक रूपज्योति कुर्मी ने मंगलवार को असम विधानसभा परिसर में अपनी हथेली काट ली और बंद पड़े उद्योगों को बेचने के राज्य सरकार के फैसले खिलाफ खून से लिखकर अपना विरोध प्रदर्शित किया। कुर्मी को विधानसभा से बाहर निकलकर निकास द्वार पर पत्रकारों के सामने ब्लेड निकालकर हथेली काटते और खून से लिखकर विरोध जताते देखा गया।

मरियानी से विधायक कुर्मी ने नागाओं और कछार पेपर मिल, ब्रह्मपुत्र वैली फर्टिलाइजर कारपोरेशन लिमिटेड, डिब्रूगढ़ में हलमारी टी एस्टेट और करीमगंज में एलबरी टी एस्टेट को बेचने के सरकार के कथित रूप से लिए गए निर्णय के खिलाफ नारे लिखे।

राज्य का भविष्य बेचने के इजाजत नहीं

कुर्मी ने संवाददाताओं से कहा कि असम सरकार को राज्य का भविष्य बेचने के इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, 'असम की मिट्टी पर सभी संसाधन राज्य के गौरव, लोगों की आजीविका के साधन और राज्य के भविष्य से जुड़े हुए हैं उन्हें बेचने की इजाजत नहीं दी जा सकती। कुर्मी से यह कहे जाने पर कि विरोध करने के उनके तरीके को युवा भी अपना सकते हैं, उन्होंने कहा, 'आजादी के आंदोलन के समय हमारी पार्टी (कांग्रेस) ने भारत की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश की गोलियां बहादुरी से झेली थीं। आज सरकार की कार्रवाई से असम जो खतरा झेल रहा है उसके लिए मैं अपना जीवन कुर्बान करने के लिए तैयार हूँ।'

हथेली काटने के बाद कुर्मी को आपातकालीन चिकित्सा कक्ष ले जाया गया जहाँ उन्हें टांके लगे। सदन में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता देवव्रत सैकिया से इस घटना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह कुर्मी के विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं थे। विधानसभा अध्यक्ष हितेश गोस्वामी ने कुर्मी द्वारा सदन में ब्लेड लेकर आने की घटना पर जाँच के आदेश दिए हैं।

सदन में इस मुद्दे को उठाते हुए भाजपा विधायक पद्म हजारिका ने कहा कि यदि एक विधायक सदन में ब्लेड लेकर आ सकता है तो बाकी विधायकों की सुरक्षा का क्या होगा।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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