आखिर बसवराज बोम्मई को ही क्यों बनाया गया कर्नाटक का सीएम, जानिए इसके पीछे की वजह

बोम्मई येदियुरप्पा के चहेते और उनके शिष्य हैं।  येदियुरप्पा ने इस्तीफा देने से पहले ही बोम्मई का नाम भाजपा आलाकमान को सुझाया था। इतना ही नहीं विधायक  दल की बैठक में उन्होंने ही बोम्मई के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसे सभी विधायकों ने मंजूर कर लिया।  

बेंगलुरू. मुख्यमंत्री पद से मंगलवार सुबह इस्तीफा देने के बाद अब कर्नाटक की राजनीति में बीएस येदियुरप्पा युग समाप्त हो गया। बीजेपी हाईकमान ने प्रदेश के नए मुख्यमंत्री का ऐलान कर दिया है। विधायक दल की बैठक में राज्य के गृहमंत्री रहे बसवराज बोम्मई कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे। लेकिन येदियुरप्पा ने ही बोम्मई का नाम सीएम के लिए आगे बढ़ाया था। आइए जानते हैं आखिर कौन हैं नए सीएम बसवराज बोम्मई...

बोम्मई  को इसलिए सौंपी गई राज्य की कुर्सी
दरअसल, बसवराज बोम्मई को वैसे तो राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता एसआर बोम्मई भी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह खुद येदियुरप्पा सरकार में गृहमंत्री रहे चुके हैं। बोम्मई का जन्म 28 जनवरी 1960 को हुआ है, वह लिंगायत समुदाय से आते हैं और येदियुरप्पा के सबसे करीबी नेताओं में से एक हैं। शायद इसलिए उनको राज्य की सीएम की कुर्सी सौंपी गई है।

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येदियुरप्पा के चहेते और शिष्य हैं बोम्मई
बता दें कि बोम्मई येदियुरप्पा को अपना गुरू मानते हैं। येदियुरप्पा ने इस्तीफा देने से पहले ही बोम्मई का नाम भाजपा आलाकमान को सुझाया था। इतना ही नहीं विधायक दल की बैठक में भी उन्होंने ही बोम्मई के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसे सभी विधायकों इसे मंजूरी दी। बताया जाता है कि येदियुरप्पा ने इससे पहले लिंगायत समुदाय को बोम्मई के नाम के लिए राजी किया था। बोम्मई का लिंगायत समुदाय के होने की वजह से सभी मठाधीश भी जल्दी ही राजी हो गए।

साल 2008 में हुए थे भाजपा में शामिल
बसवराज बोम्मई ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत 'जनता दल' से की है। वह साल 2008 में भाजपा में शामिल हुए थे। उन्होंने हावेरी और उडुपी जिला प्रभारी मंत्री के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। वर्तमान में बोम्मई गृह, कानून, संसदीय कार्य मंत्री हैं। उन्होंने पहले जल संसाधन और सहकारिता मंत्री के रूप में कार्य किया। 

टाटा की नौकरी छोड़ राजानीति में आए
बोम्मई नेपेशे से इंजीनियर हैं और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत टाटा ग्रुप में नौकरी कर की थी। इसके बाद वह नौकरी छोड़  राजनीति में आए और  हावेरी जिले के शिगगांव से दो बार एमएलसी और तीन बार विधायक रहे। उन्हें कर्नाटक के हावेरी जिले के शिगगांव में भारत की पहली 100% पाइप सिंचाई परियोजना को लागू करने का श्रेय भी दिया जाता है। उनको खेती और सिंचाई मामलों का जानकार माना जाता है।


 

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