दिल्ली की सत्ता में वापसी के लिए ये है BJP का प्लान, 12 सीटों पर कुछ ऐसी है तैयारी

दिल्ली भाजपा का अनुसूचित जाति मोर्चा अगले साल होने वाले चुनाव के मद्देनजर मतदाताओं में पैठ बढ़ाने के मकसद से नवंबर से ही अलग-अलग अनुसूचित जातियों के साथ 'सामाजिक सम्मेलन' कर रहा है
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 15, 2019 1:23 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की सत्ता से आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को बेदखल कर दो दशक बाद सत्ता में वापसी के कठिन लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास कर रही भाजपा 12 सुरक्षित सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। दिल्ली भाजपा का अनुसूचित जाति मोर्चा अगले साल होने वाले चुनाव के मद्देनजर मतदाताओं में पैठ बढ़ाने के मकसद से नवंबर से ही अलग-अलग अनुसूचित जातियों के साथ 'सामाजिक सम्मेलन' कर रहा है। 

दिल्ली भाजपा अनुसचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष मनोहर लाल गिहरा ने बताया, ''हम पहले ही वाल्मीकि, जाटव, खटीक, धनुक और मल्लाह सहित 13 अनुसूचित जातियों के साथ बैठक कर चुके हैं। आने वाले दिनों में कुछ और बैठकें करने की योजना है।''

पार्टी 1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर

दिल्ली भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी 1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर हुई थी और उन 20 सीटों पर प्रदर्शन 'दयनीय' था जहां अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाता नतीजे तय करते हैं। उन्होंने कहा, ''इन 20 सीटों में बवाना, सुल्तानपुर माजरा, अम्बेडकर नगर, देवली, करोल बाग, पटेल नगर, गोकलपुर सहित 12 सीटें अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं जिनके नतीजों का असर विधानसभा चुनाव में भाजपा के जीतने की संभावनाओं पर पड़ेगा।''

आरक्षित विधानसभा क्षेत्रों में स्वाभिमान सम्मेलन 

गिहरा ने कहा कि विभिन्न अनुसूचित जातियों ने उन तक पहुंचने के लिए भाजपा की पहल पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ''अनुसूचित जाति के लोग सम्मान चाहते हैं जो हमने समाज में उनकी भूमिका स्वीकार करके और सामाजिक सम्मेलन करके दिया है। यह भी तथ्य है कि मोदी सरकार उज्ज्वला योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना के अधिकांश लाभार्थी अनुसूचित समुदाय के सदस्य हैं।''

गिहरा ने कहा कि अनुसूचित जाति मोर्चा ने उनके साथ भाजपा के संबंध को मजबूत करने के लिए रविवार को आरक्षित विधानसभा क्षेत्रों में स्वाभिमान सम्मेलन आयोजित किया। उल्लेखनीय है कि 1993 से ही भाजपा आरक्षित सीटों पर जीत दर्ज नहीं कर पाई है। पहले यह कांग्रेस का गढ़ था और 2015 में आप ने इन सीटों पर कब्जा किया।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(प्रतीकात्मक फोटो)

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