कोरोना वायरस की महामारी के दौरान लोगों में इससे जूझने का काफी जज्बा देखने को मिल रहा है। कोरोना वॉरियर्स लोगों की जान बचाने के लिए हर तरह की परेशानी उठा रहे हैं। ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जब ड्यूटी निभाने के लिए लोगों ने अपने परिवार पर आए बड़े से बड़े संकट की भी कोई परवाह नहीं की है।
ओडिशा। कोरोना वायरस की महामारी के दौरान लोगों में इससे जूझने का काफी जज्बा देखने को मिल रहा है। इस दौरान कई लोगों ने मानवता की बड़ी मिसाल पेश की है। इस मुसीबत के दौर में कोरोना वॉरियर्स लोगों की जान बचाने के लिए हर तरह की परेशानी उठा रहे हैं। ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जब अपनी ड्यूटी निभाने के लिए लोगों ने अपने परिवार पर आए बड़े से बड़े संकट की भी कोई परवाह नहीं की है। अभी हाल ही में ओडिशा की एक महिला ने अपनी बेटी की कैंसर से मौत होने के दो दिन बाद ही ड्यूटी ज्वाइन कर ली। गौरी बहरा नाम की यह महिला होमगार्ड हैं।
लॉकडाउन जोन में थी स्पेशल ड्यूटी
गौरी बहरा की स्पेशल ड्यूटी लॉकडाउन जोन में लगी थी। उनकी 13 साल की बेटी को पिछले 1 साल से लिवर कैंसर की बीमारी थी। उसका इलाज चल रहा था। जब वे ड्यूटी पर ही थीं, तभी उन्हें खबर मिली कि बेटी की तबीयत ज्यादा खराब है।
घर पहुंची तो मर चुकी थी बेटी
बेटी की तबीयत ज्यादा खराब होने की जानकारी मिलने पर वे साइकिल से 3 किलोमीटर दूर स्थित अपने घर पहुंची। तब तक बच्ची की मौत हो चुकी थी। यह देख उन्हें गहरा धक्का लगा। बेटी के आखिरी वक्त मे भी वह उसके साथ नहीं थीं। उन्होंने कहा कि उस वक्त मुझे ऐसा लगा कि मेरी दुनिया खत्म हो गई है। बाद में उन्होंने खुद को संभाला।
दो दिन बाद ज्वाइन की ड्यूटी
बेटी की मौत के बावजूद गौरी बहरा ने हिम्मत नहीं छोड़ी। उन्होंने बेटी का अंतिम संस्कार किया और दो दिन के बाद ही ड्यूटी ज्वाइन कर ली। गौरी ने कहा कि उन्हें लगा कि इस वक्त उनके लिए ड्यूटी निभाना कहीं ज्यादा जरूरी है, क्योंकि बेटी तो अब वापस आने से रही। उनके इस फैसले की सराहना ओडिशा के मुख्यमंत्री कार्यालय (CM0 Odish) ने भी की। एसपी उमाशंकर दास ने कहा कि इस दुख के समय में हम उनके साथ हैं। उन्होंने वाकई ऐसा करके एक मिसाल कायम की है।