मां अकसर अपनी बेटी के किस्से सुनाती है, वो नहीं तो क्या... किसी और के सीने में धड़कता है उसका दिल

भावुक करने वाली इस कहानी की शुरुआत 2016 से होती है, जब भावना बेन की बेटी राधिका इस दुनिया से रुखसत हो गई थी। इसके बाद भावना बेन की दुनिया ही बदल गई। अब वे कई लोगों की जिंदगी बनकर सामने आ रही हैं।

राजकोट, गुजरात. यह कहानी किसी की जवान बेटी की मौत से शुरू होती है। अपनों को खोने का दर्द..क्या होता है? दूसरा कोई नहीं समझ सकता। खासकर, जिस मां ने अपने बेटे या बेटी को 9 महीने तक अपने गर्भ में पाला हो, उसकी मौत का सदमा शायद ही कोई समझ सकता है। भावना बेन भी ऐसी ही मां हैं। लेकिन उनकी बेटी दुनिया से जाने के बाद उनके लिए एक बड़ी जिम्मेदारी सौंप गई। बता दें कि भावना बेन की 16 की बेटी राधिका की ब्रेन ट्यूमर के कारण मौत हो गई थी। भावना बेन ने उसके अंगदान कर दिए थे। इसके बाद भावना बेन ने अंगदान को एक मिशन बनाया। अब वे दूसरे लोगों को भी अंगदान के प्रेरित करती हैं।

पहले जानें राधिका और उनकी मां भावना की कहानी...
अप्रैल, 2006 को राधिका की अचानक तबीयत बिगड़ी। उसे हॉस्पिटल ले जाया गया। जांच में मालूम चला कि राधिका के ब्रेन में ट्यूमर है। डॉक्टरों ने फौरन उसका ऑपरेशन किया। लेकिन दुर्भाग्य से ऑपरेशन के कुछ घंटे बाद ही गांठ फट गई। डॉक्टरों ने बताया कि राधिका का ब्रेन डेड हो गया है। इसके बाद डॉक्टरों ने भावना बेन को समझाया कि अपनी बेटी के अंगदान कर देना चाहिए। भावना ने दुखी मन से रजामंदी दे दी। इसके बाद राधिका का दिल, किडनी, आंख और लिवर दूसरे जरूरतमंद मरीजों को ट्रांसप्लांट कर दिया गया।

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2016 में हुई थी बेटी की मौत
भावना बेन की 16 साल की बेटी राधिका की 2016 के अप्रैेल में अचानक तबियत बिगड़ी। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच में पता चला कि उसके मस्तिष्क में गांठ है। उसका ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के कुछ ही घंटों बाद गांठ फट गई। जिससे राधिका का ब्रेन डेड हो गया। दु:ख की इस घड़ी में डॉ. विरोजा, डॉ. करमटा और ड. वंजारा ने भावना बेन से राधिका के अंगों को दान में देने के लिए मनाया। भावना बेन की अनुमति के बाद राधिका का दिल, किडनी, आंखें और लिवर निकालकर जरूरतमंद के लिए सुरक्षित रख लिया।
 
बेटी दे गई एक मिशन..
भावना बेन भावुक होकर बताती हैं कि भले अब उनकी बेटी इस दुनिया में नहीं है, लेकिन वो उन्हें एक रास्ता दिखा गई। भावना बेन अब लोगों को अंगदान के लिए मनाती हैं। वे पिछले 3 साल में करीब 32 परिवारों को अंगदान के लिए रजामंद कर चुकी हैं। उनके साथ अब एक टीम काम करती है। व बताती हैं कि जब भी उन्हें किसी हॉस्पिटल से ब्रेन डेड की सूचना मिलती है, वे उस परिवार को अंगदान के लिए समझाती हैं। अब भावना बेन के पति मनसुख और बेटा भी इस मिशन में सहयोग करते हैं। भावना कहती हैं कि उन्हें ऐसा करने पर बहुत सुकून मिलता है।

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