Goa Election 2022: चुनाव से करीब तीन महीने पहले ही कांग्रेस ने जारी की उम्मीदवारों की पहली लिस्ट, जानें रणनीति

Published : Dec 16, 2021, 09:25 PM ISTUpdated : Dec 16, 2021, 09:41 PM IST
Goa Election 2022: चुनाव से करीब तीन महीने पहले ही कांग्रेस ने जारी की उम्मीदवारों की पहली लिस्ट, जानें रणनीति

सार

कांग्रेस की इस पहली लिस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत को मरगाव से टिकट दिया गया है। इसके अलावा सुधीर कनोलकर को मापुसा, टोनी रोड्रिग्स को तलेगाओ, राजेश वेरेनकर को पोंडा, संकल्प अमोनकर को मारमुगाओ, एलेक्सियो रेजिनाल्डो लौरेंको को कर्टोरिम, यूरी अलेमाओ को कुनकोलिम और एलटोन डी कोस्टा को क्यूपेम से टिकट दिया गया है। 

पणजी :  गोवा (Goa) में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। कांग्रेस (congress) की तरफ से गुरुवार को जारी पहली लिस्ट में 8 विधानसभा सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों के नाम घोषित किए गए हैं। जल्द ही पार्टी बाकी सीटों पर भी नाम घोषित करेगी। कांग्रेस की इस पहली लिस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत (Digambar Kamat) को मरगाव से टिकट दिया गया है। इसके अलावा सुधीर कनोलकर को मापुसा, टोनी रोड्रिग्स को तलेगाओ, राजेश वेरेनकर को पोंडा, संकल्प अमोनकर को मारमुगाओ, एलेक्सियो रेजिनाल्डो लौरेंको को कर्टोरिम, यूरी अलेमाओ को कुनकोलिम और एलटोन डी कोस्टा को क्यूपेम से टिकट दिया गया है। 

इतनी जल्दी लिस्ट जारी करने के पीछे रणनीति
गोवा में विधानसभा चुनाव अगले साल फरवरी में होने की संभावना है। करीब 3 महीने पहले ही पार्टी के कैंडिडेट्स घोषित करने के पीछे कांग्रेस की सोची समझी रणनीति है। पार्टी की इस रणनीति को राज्य में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की तृणमूल कांग्रेस (TMC) और अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी (AAP) के पैर जमाने की कोशिशों से जोड़कर देखा जा रहा है। बता दें कि 2017 के चुनावों में कांग्रेस ने 40 सदस्यीय सदन में 17 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी (BJP) को 13 सीटें मिली थीं। सबसे अधिक सीटें जीतने के बावजूद कांग्रेस सरकार नहीं बना पाई थी, वहीं बीजेपी ने क्षेत्रीय दलों जीएफपी और एमजीपी के साथ गठबंधन कर दिवंगत मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में सरकार बनाई।

हाईकमान के फैसले से नाराजगी
कांग्रेस की गोवा इकाई गोवा फॉरवर्ड पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा से खुश नहीं है। इसके दो प्रमुख कारण हैं. पहला 2017 के चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी में 17 विधायक थे, एनसीपी के एक विधायक का भी समर्थन हासिल था, सरकार बनाने के लिए मात्र तीन और विधायकों की जरूरत थी। विजय सरदेसाई की गोवा फॉरवर्ड पार्टी के तीन विधायक चुने गए थे और सरदेसाई ने समर्थन की हामी भर भी दी थी लेकिन जब तक राहुल गांधी (Rahul gandhi) मुख्यमंत्री पद के लिए अपना फैसला सुनाते सरदेसाई ने बीजेपी को समर्थन दे दिया, जिसे कांग्रेस पार्टी की स्थानीय इकाई ने विश्वासघात के रूप में देखा।

नाराजगी का दूसरा कारण
हाईकमान से राज्य ईकाई की नाराजगी की दूसरी वजह है कि गोवा फॉरवर्ड पार्टी नयी पार्टी है और उसमें इतना दमखम नहीं है कि वह कांग्रेस पार्टी को चुनाव जीतने में मदद दे पाए। वैसे भी 2017 के मुकाबले गोवा फॉरवर्ड पार्टी काफी कमजोर हो गई है। 3 दिसंबर को सिओलिम के विधायक जयेश सालगांवकर बीजेपी में शामिल हो गए और उसके पूर्व पिछले महीने पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष किरण कांडोलकर अपनी पत्नी और कई पदाधिकारियों के साथ तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे. वर्तमान में गोवा फॉरवर्ड पार्टी की इतनी हैसियत नहीं है कि वह कांग्रेस पार्टी की कोई मदद कर पाए. उसका प्रभाव दो या तीन क्षेत्रों तक ही सिमित है।

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