साल 2015 के स्थानीय चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में पाटीदार समाज के आंदोलन के चलते कांग्रेस को फायदा हुआ था। इसके बाद हार्दिक पटेल को पार्टी में लाया गया लेकिन अब उनकी नाराजगी पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकती है।
गांधीनगर : गुजरात चुनाव से पहले कांग्रेस संकट में दिखाई दे रही है। पहले इंद्रनील राजगुरु (Indranil Rajyaguru) और वाशरंभाई सगथिया (Vasram Sagathia) जैसे दिग्गज नेताओं ने पार्टी से किनारा कर लिया है तो अब पाटीदार नेता और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल (Hardik Patel) भी नाराज हो गए हैं। उन्होंने कांग्रेस पर खुद की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि गुजरात कांग्रेस में उनकी स्थिति उस दूल्हे जैसी हो गई है, जिसकी नसबंदी करा दी गई हो। उनके इस कड़े रुख के बाद कई तरह की अटकलें लगने लगी है। कहा जा रहा है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो चुनाव आने तक पार्टी के अंदरखाने इतना विरोध बढ़ जाएगा कि उसे थामना मुश्किल हो सकता है।
क्या कहा हार्दिक पटेल ने
एक मीडिया हाउस से बात करते हुए कहा कि खोडालधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष और पाटीदार नेता नरेश पटेल को हर पार्टी अपनी तरफ लाने की कोशिश कर रही है लेकिन कांग्रेस न जाने क्यों उन पर फैसला लेने में इतनी देरी कर रही है। यह पूरे पाटीदार समाज का अपमान है। मेरी तो स्थिति पार्टी में उस नवविवाहित दूल्हे जैसी हो गई है, जिसे नसबंदी से गुजरना पड़ा हो। उन्होंने कहा कि न तो मुझे पार्टी के किसी बैठक में बुलाया जाता है, न किसी फैसले में शामिल किया जाता है और ना ही मेरी सलाह ली जाती है, फिर ऐसे बाद का क्या मतलब है।
कांग्रेस में क्या चल रहा है
हार्दिक पटेल के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है क्योंकि जिस पाटीदार नेता ने गुजरात सरकार के खिलाफ एक सफल आंदोलन का नेतृत्व किया, उसे खुद कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पार्टी में लेकर आए और 2020 में कांग्रेस का राज्य कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया लेकिन अब हार्दिक का इस तरह से निराश होना और सवाल खड़े करना कई अटकलों की ओर इशारा कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट से हार्दिक को राहत
बता दें कि अभी दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने पाटीदार हिंसा मामले में उन्हें दोषी ठहराए जाने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाकर हार्दिक को बड़ी राहत दी। इसके बाद ही उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के संकेत भी दिए। लेकिन ऐसे में उनकी नाराजगी कांग्रेस के लिए नुकसानदायक हो सकती है। इससे पाटीदार समाज नाराज हो सकता है और आगामी चुनाव में इसका खामियाजा भी पार्टी को उठाना पड़ सकता है।
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