गुजरात के जरिये दूध क्रांति लाने वाले डॉ. वर्गीज़ कुरियन की कोशिशों का असर है कि भारत में दूध की कोई कमी नहीं है। जब भी भारत में दुग्ध उत्पादन की बात चलेगी, डॉ. कुरियन हमेशा याद किए जाएंगे। आज देश में सिर्फ गाय-भैंस, बकरी नहीं, ऊंटिनी और गधी के दूध की भी बड़ी डिमांड होने लगी है। इनका दूध शारीरिक तौर पर कई मायने में बेहतर माना जाना जाता है। अब गुजरात के हलारी नस्ल के गधों का दूध चर्चाओं में है। हरियाणा में इसी नस्ल के गधों की डेयरी खोली जा रही है।
अहमदाबाद, गुजरात. भारत की सबसे बड़ी डेयरी 'अमूल' के संस्थापक वर्गीज़ कुरियन को देश में दुग्ध क्रांति का जनक माना जाता है। जब भी भारत में दुग्ध उत्पादन की बात चलेगी, डॉ. कुरियन हमेशा याद किए जाएंगे। 'ऑपरेशन फ्लड' के जरिये दुनिया का सबसे बड़ा कृष विकास कार्यक्रम चलाने वाले वर्गीज़ की कोशिशों का ही नतीजा है कि आज गाय-भैंस और बकरी के अलावा दूसरे पालतू जानवरों के दूध पर भी रिसर्च चल रहा है। ऊंट के बाद गधों के दूध को लेकर अब मार्केट तेजी से बढ़ रहा है।
इनका दूध शारीरिक तौर पर कई मायने में बेहतर माना जाना जाता है। अब गुजरात के हलारी नस्ल के गधों का दूध चर्चाओं में है। हरियाणा में इसी नस्ल के गधों की डेयरी खोली जा रही है। आपको बता दें कि हलारी नस्ल के गधों का दूध दुनिया में सबसे ज्यादा पौष्टिक माना जाता है। यही वजह है कि इस दूध की कीमत 7000 रुपए प्रति लीटर तक है। इस दूध से कॉस्मेटिक सामग्री भी बनाई जाती है।
जानिए क्यों बन रही डेयरी
गुजरात के आणंद स्थित आणंद एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट के डॉ. डीएन रंक बताते हैं कि हलारी गधे कदकाठी में घोड़ों से छोटो, किंतु बाकी गधों से बड़े होते हैं। यह नस्ल हलारा क्षेत्र में पिछले 200 साल से रह रही है। डेयरी खुलने के बाद इनके संरक्षण और जींस के संवर्धन के लिए अच्छी पहल होगी। बता दें कि जामनगर और द्वारका का एरिया पहले हलार कहलाता था।
हिसार में खुल रही डेयरी
राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) हरियाणा के हिसार में गधी दूध डेयरी खोलने जा रही है। रिसर्च से साबित हुआ है कि इस हलारी नस्ल के गधों के दूध में कैंसर, मोटापा, एलर्जी आदि बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है। इस नस्ल के गधों के दूध में एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-एजिंग तत्व होते हैं।