गुजरात में जबरन जांच रहे थे लड़कियों के पीरियड, प्रिंसिपल, रेक्टर समेत चार के साथ हुआ ये सब


श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टिट्यूट (एसएसजीआई) के न्यासी प्रवीण पिंडोरिया ने सोमवार को कहा कि प्रधानाचार्य रीता रानींगा, महिला छात्रावास की रेक्टर रमीलाबेन हीरानी और कॉलेज की चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी नैना गोरासिया को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद शनिवार को निलंबित कर दिया गया।

Asianet News Hindi | Published : Feb 18, 2020 7:00 AM IST

भुज. गुजरात में कच्छ जिले में एक कॉलेज के प्रधानाचार्य समेत चार लोगों को पुलिस ने सोमवार को गिरफ्तार कर लिया, जिन पर आरोप है कि एक सप्ताह पहले उन्होंने कथित तौर पर 60 से ज्यादा छात्राओं को यह देखने के लिए अपने अंत:वस्त्र उतारने पर मजबूर किया कि कहीं उन्हें माहवारी तो नहीं हो रही है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

चारों आरोपियों को किया गया गिरफ्तार 

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श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टिट्यूट (एसएसजीआई) के न्यासी प्रवीण पिंडोरिया ने सोमवार को कहा कि प्रधानाचार्य रीता रानींगा, महिला छात्रावास की रेक्टर रमीलाबेन हीरानी और कॉलेज की चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी नैना गोरासिया को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद शनिवार को निलंबित कर दिया गया। भुज पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में इन तीनों के अलावा अनीता चौहान नाम की एक महिला को भी आरोपी के तौर पर नामजद किया गया है। वह कॉलेज से संबद्ध नहीं है।

अधिकारी ने बताया कि उक्त चारों नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 384, 355 और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया है। एसएसजीआई स्व-वित्तपोषित कॉलेज है जिसका अपना महिला छात्रावास है।

संस्थान स्वामीनारायण मंदिर न्यास द्वारा चलाया जाता है

यह संस्थान भुज के स्वामीनारायण मंदिर के एक न्यास द्वारा चलाया जाता है। कॉलेज क्रांतिगुरु श्यामजी कृष्ण वर्मा कच्छ विश्वविद्यालय से संबद्ध है। इस मामले के सामने आने के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग के सात सदस्यों के एक दल ने रविवार को छात्रावास में रहने वाली उन छात्राओं से मुलाकात की जिन्हें कथित रूप से यह पता लगाने के लिए अंत:वस्त्र उतारने पर मजबूर किया गया था कि कहीं उन्हें माहवारी तो नहीं आ रही।

छात्राओं के उतरवाए गए थे अंडरगारमेंट

इससे पहले एक छात्रा ने मीडियाकर्मियों को बताया था कि यह घटना 11 फरवरी को एसएसजीआई परिसर में स्थित हॉस्टल में हुई थी। उसने आरोप लगाया कि करीब 60 छात्राओं को महिला कर्मचारी शौचालय ले गईं और वहां यह जांच करने के लिए उनके अंत:वस्त्र उतरवाए गए कि कहीं उन्हें माहवारी तो नहीं हो रही। जांच के बाद विश्वविद्यालय की प्रभारी कुलपति दर्शना ढोलकिया ने कहा था कि लड़कियों की जांच की गई क्योंकि छात्रावास में माहवारी के दौरान लड़कियों के अन्य रहवासियों के साथ खाना न खाने का नियम है।

छात्रावास की कर्मचारियों ने जांच करने का फैसला तब किया जब उन्हें पता चला कि कुछ लड़कियों ने नियम तोड़ा है। पुलिस ने पूर्व में कहा था कि उसने मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया है और महिला पुलिस अधिकारियों को इसका सदस्य बनाया गया है।


(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
 

(फाइल फोटो)

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