प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के दौरे पर गुजरात पहुंचे हैं। पीएम का आज दौरे का दूसरा और अंतिम दिन है, बता दें कि पीएम गुजरात गौरव अभियान’ कार्यक्रम के अंतर्गत 21 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा लागत वाली विभिन्न विभागों की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास कर रहे हैं।
गांधीनगर (गुजारत). प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के दौरे पर गुजरात पहुंचे हैं। पीएम का आज दौरे का दूसरा और अंतिम दिन है, बता दें कि पीएम गुजरात गौरव अभियान’ कार्यक्रम के अंतर्गत 21 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा लागत वाली विभिन्न विभागों की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास कर रहे हैं। पीएम आज सुबह बह 9 बजे वह पावागढ़ में नवनिर्मित महाकाली माता मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने पूजा-अर्चना की। इसके बाद मंदिर में ध्वजारोहण किया गया। इसके बाद पीएम ने जनता को संबोधित भी किया।
आजादी के 75 साल के बाद मां काली के शिखर पर ध्वजा फहराया
- पावागढ़ मंदिर में जनता को संबोंधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- सपना जब संकल्प बन जाता है और संकल्प जब सिद्धि के रूप में नजर के सामने होता है। इसकी आप कल्पना कर सकते हैं। आज का ये पल मेरे अंतर्मन को विशेष आनंद से भर देता है।
- पीएम ने कहा- कल्पना कर सकते हैं कि 5 शताब्दी के बाद और आजादी के 75 साल के बाद तक मां काली के शिखर पर ध्वजा नहीं फहरी थी, आज मां काली के शिखर पर ध्वजा फहरी है। ये पल हमें प्रेरणा और ऊर्जा देता है और हमारी महान संस्कृति एवं परंपरा के प्रति हमें समर्पित भाव से जीने के लिए प्रेरित करता है।
आयोध्या से लेकर काशी में विश्वनाथ धाम का किया जिक्र
- अयोध्या में आपने देखा कि भव्य राम मंदिर आकार ले रहा है, काशी में विश्वनाथ धाम हो या मेरे केदार बाबा का धाम होआज भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव पुनर्स्थापित हो रहे हैं। आज नया भारत अपनी आधुनिक आकांक्षाओं के साथ साथ अपनी प्राचीन पहचान को भी जी रहा है, उन पर गर्व कर रहा है।
माताओं-बहनों के लिए हमेशा काम करता रहूंगा
- पीएम ने कहा-आज का ये अवसर सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास का भी प्रतीक है। अभी मुझे मां काली मंदिर में ध्वजारोहण और पूजा-अर्चना का भी अवसर मिला है। मेरा जो भी सामर्थ्य है, मेरे जीवन में जो कुछ भी पुण्य हैं, वो मैं देश की माताओं-बहनों के कल्याण के लिए, देश के लिए समर्पित करता रहूं।
मां के आशीर्वाद के बिना कुछ संभव नहीं
प्रधानमंत्री ने कहा- मां काली का आशीर्वाद लेकर विवेकानंद जी जनसेवा से प्रभुसेवा में लीन हो गए थे। मां, मुझे भी आशीर्वाद दो कि मैं और अधिक ऊर्जा के साथ, और अधिक त्याग और समर्पण के साथ देश के जन-जन का सेवक बनकर उनकी सेवा करता रहूं। माता के दरबार का कायाकल्प और ध्वजारोहण, मैं समझता हूं कि हम भक्तों और शक्ति उपासकों के लिए इससे बड़ा उपहार क्या हो सकता है। मां के आशीर्वाद के बिना ये संभव भी कहां हो सकता है।