तीन दिन भूखा-प्यासा झाड़ियों में फंसा रहा यह आदमी, गया तो था मरने, फिर जिंदगी बचाने छटपटाता रहा

एक कहावत है कि आसमां से गिरे-खजूर पर अटके! इस आदमी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। इसने मरने के लिए पुल से साबरमती नदी में छलांग लगाई, लेकिन झाड़ियों में जा गिरा। फिर ऐसा फंसा कि तीन दिनों तक जान बचाने बचाओ-बचाओ चिल्लाता रहा। तीसरे दिन एक मछुआरे की नजर इस पर पड़ी, तब फायर ब्रिगेड की मदद से उसे बाहर निकाला जा सका। तीन दिन तक लोग यह देखकर नजरअंदाज करते रहे कि शायद वो मछली पकड़ने उतरा होगा।

Asianet News Hindi | Published : Aug 13, 2020 10:16 AM IST

अहमदाबाद,  गुजरात. एक कहावत है कि आसमां से गिरे-खजूर पर अटके! इस आदमी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। इसने मरने के लिए पुल से साबरमती नदी में छलांग लगाई, लेकिन झाड़ियों में जा गिरा। फिर ऐसा फंसा कि तीन दिनों तक जान बचाने बचाओ-बचाओ चिल्लाता रहा। तीसरे दिन एक मछुआरे की नजर इस पर पड़ी, तब फायर ब्रिगेड की मदद से उसे बाहर निकाला जा सका। तीन दिन तक लोग यह देखकर नजरअंदाज करते रहे कि शायद वो मछली पकड़ने उतरा होगा। जानिए पूरी कहानी...

मछुआरे ने बचा ली जान
इस शख्स का नाम है त्रिलोक सिंह। इसने रविवार को साबरमती नदी में मरने के लिए छलांग लगाई थी। लेकिन वो झाड़ियों पर जाकर गिरा। इससे उसकी जान बच गई। हालांकि वो बुधवार तक वहां फंसा रहा। इस दौरान वो भूखा-प्यास पड़ा रहा। बाद में मछुआरे को मामला समझ आया, तब उसे बाहर निकाला गया। दरअसल, मछुआरे को मालूम था कि उस खतरनाक दलदली जगह पर कोई मछली पकड़ने नहीं जाता, ऐसे मे यह शख्स वहां कैसे पहुंचा? इसके बाद वो सक्रिय हुआ, तो पता चला कि ये आदमी तो मरने निकला था।


दिमागी हालत ठीक नहीं होने से लगाई थी छलांग...
लोगों ने बताया कि शख्स की दिमागी हालत ठीक नहीं है। उसे यहां आसपास घूमते देखा गया था। हालांकि उसने माना कि वो मरने के लिए नदी में कूदा था। लेकिन फिर झाड़ियों में फंस गया।

Share this article
click me!