भारी बारिश, भूस्खलन और आपदा: उत्तराखंड में ताजा हुए केदारनाथ त्रासदी के जख्म, दो दिन में चली गई 58 की जान

उत्तराखंड (Uttarakhand Rains) में दो दिन की बारिश ने हजारों लोगों पर सड़क पर ला दिया। लोगों के घर गिर गए। दुकान टूट गईं। खाने तक को कुछ नहीं बचा है। इस साल पूरे मानसून सीजन के दौरान बारिश, भूस्खलन से कुल 36 लोगों की जान गई थी। हालांकि, राज्य में मौसम विभाग (weather department) ने भारी बारिश की चेतावनी जारी की थी। मगर, ये इतना भयावह रूप ले लेगी, इसका किसी को अंदाजा नहीं था। 
 

देहरादून। उत्तराखंड में भारी बारिश, भूस्लखन और आपदा (Uttarakhand Weather) ने एक बार फिर केदारनाथ त्रासदी (Kedarnath Tragedy) जैसे जख्म ताजा कर दिए हैं। 8 साल पुरानी वो तबाही आज भी लोगों में दिल ओ दिमाग में सिहरन पैदा कर देती है। हाल में दो दिन में भारी बारिश, भूस्खलन और बर्फबारी ने फिर खौफ पैदा कर दिया है। अब तक मौतों का आंकड़ा 58 पहुंच गया है। 8 ट्रैकर समेत 15 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। बुधवार को चंपावत में चार, उत्तरकाशी में तीन और बागेश्वर में एक की मौत हो गई। नैनीताल जिले में पांच और मौतों की पुष्टि होने से जिले में मौतों की संख्या 30 पहुंच गई है।

बता दें कि इस प्राकृतिक आपदा ने 16 जून 2013 की यादें के गहरे जख्म ताजा कर दिए। तब त्रासदी ने केदार घाटी समेत पूरे उत्तराखंड में बर्बादी के वो निशान छोड़े, जिन्हें अब तक नहीं मिटाया जा सका। तब इस हादसे में 10 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। अब एक बार फिर इस आपदा ने लोगों को बर्बाद कर दिया। मंगलवार और बुधवार की बारिश-बर्फबारी में 58 लोगों की जान चली गई। यानी 60 प्रतिशत से ज्यादा मौतें पिछले दो दिन में हो गईं हैं। जबकि इस साल पूरे मानसून सीजन के दौरान बारिश, भूस्खलन से कुल 36 लोगों की जान गई थी।

Latest Videos

सिर्फ 2 दिन और बर्बाद हो गए पहाड़ी इलाके में लोग
मानसून अवधि से पहले ही आपदा की घटनाओं में 102 लोगों की मौत हुई। जबकि मानसून के बाद अब तक 58 लोग जान गंवा चुके हैं।  राज्य में इस साल 13 जून को मानसून आया था जबकि मानसून की विदाई 8 अक्तूबर को हुई। मानसून की यह अवधि राज्य में सामान्य दिनों की तुलना में अधिक रही लेकिन चार महीने की इस अवधि के दौरान आपदा की सभी घटनाओं में कुल मिलाकर 36 लोगों की मौत हुई।

उत्तराखंड तबाही का डरावना मंजर: स्कूल में फंसी 55 जिंदगियां, बच्चे भूख से बेहाल..मैसेज लिखा-हमें बचा लो

तीन महीने पहले ये जनहानि हुई थी..
इसी तरह पिछले करीब तीन माह 15 जून से और 20 अक्टूबर के बीच दैवीय आपदा से प्रदेश में कुल 88 लोगों की मौत हुई। 45 लोग घायल और 17 लापता बचाए गए हैं। इनमें 15 लोगों की जान भूस्खलन, 66 आकस्मिक बाढ़, बादल फटने और भारी वर्षा के कारण मारे गए। जबकि एक व्यक्ति की मौत बिजली गिरने और 6 अन्य की मौत विभिन्न कारणों से हुई। 

उत्तराखंड: बारिश से हाहाकार, सड़क से लेकर शहर तक डूबे, अब तक 47 की मौत, 7 लापता, तस्वीरों में देखें हालात...

नैनीताल में सबसे ज्यादा मौतें...
आपदा में सबसे ज्यादा मौतें नैनीताल जिले में हुईं हैं। यहां 28 लोगों की जान चली गई। यह सभी मौतें पिछले दो दिन में हुई हैं। इससे पहले पूरे मानसून सीजन में यहां बारिश के कारण मरने वालों का आंकड़ा शून्य था। वहीं, 15 जून को मानसून सीजन शुरू होने के बाद अब तक पिथौरागढ़ में 14, अल्मोड़ा में 9, बागेश्वर में 4, ऊधमसिंह नगर में 5, चंपावत में 9, चमोली में 1, देहरादून में 2, हरिद्वार में शून्य, पौड़ी में 3, टिहरी में 3 और उत्तरकाशी में 4 मौतें हुई हैं। इसके अलावा कुमाऊं के विभिन्न जिलों में 6 लोगों की मौत हुई है।

इन जिलों में सबसे ज्यादा जान-माल का नुकसान
दैवीय आपदा की घटना से नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, चमोली, पौड़ी एवं रुद्रप्रयाग लोगों के मारे जाने के साथ ही संपत्ति का भी बड़ा नुकसान हुआ है। फसलों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। कई लोगों के आवासीय मकान पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं। सरकारी और निजी संपत्तियों को भी भारी नुकसान हुआ है। राज्य में सड़कें भी पूरी तरह डैमेज हो गईं। इस सबका सरकार आकलन करवा रही है। 

उत्तराखंड में फटे बादल: तस्वीरों में तबाही का मंजर, 25 की मौत..बह गए मकान और सड़कों पर डूब गईं कारें

प्रदेश में अब तक ये नुकसान हुआ..
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, आपदा में बड़े पशु 141, छोटे पशु 252 की मौत हुई। जबकि आंशिक रूप से कच्चे भवन 12, आंशिक रूप से पक्के भवन 491, पक्के भवनों को सर्वाधिक नुकसान 332, पूरी तरह ध्वस्त हुए कच्चे भवन 5, पूरी तरह ध्वस्त हुए पक्के भवन 52, गोशाला 52 और झोपड़ियां 10 गिर गई हैं।

सरकार का अब सड़कों पर खोलने पर फोकस
आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव एसए मुरुगेशन ने बताया कि दो दिन की बारिश ने कुमाऊं में सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। जनहानि के साथ सड़क, पशुधन, आवास और फसलों को भी नुकसान पहुंचा है। इसका आकलन किया जा रहा है। आपदा के दौरान कम समय में बचाव एवं राहत कार्य शुरू किए गए। सेना के हेलीकॉप्टर को भी राहत और बचाव के काम में लगाया गया। अब सड़कों को खोलने के काम पर फोकस रहेगा। ताकि राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लाई जा सके। 

Share this article
click me!

Latest Videos

राजस्थान में बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी । Kotputli Borewell News । Chetna
LIVE 🔴: रविशंकर प्रसाद ने भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया | Baba Saheb |
ममता की अद्भुत मिसाल! बछड़े को बचाने के लिए कार के सामने खड़ी हुई गाय #Shorts
LIVE 🔴: कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में पीएम मोदी का भाषण
Hanuman Ashtami: कब है हनुमान अष्टमी? 9 छोटे-छोटे मंत्र जो दूर कर देंगे बड़ी परेशानी