एक मां ऐसी भी: जिसने बेटे की चिता की राख को बनाया अपना बिछौना, याद आती तो सिसकते हुए वहीं सो जाती

यह मार्मिक कहानी गुजरात के बनासकांठा जिले के अमीरगढ़ इलाके की है। जहां जूनीरोह गांव की रहने वाली मंगूबेन चौहाण नाम की महिला रहती है। चार महीने पहले उसके बेटे महेश की एक हादसे में मौत हो गई। लेकिन मृतक की मां अभी भी इस सदमे से बाहर नहीं निकल पाई है। 

Asianet News Hindi | Published : May 12, 2021 6:55 AM IST / Updated: May 12 2021, 12:35 PM IST

बनासकांठा (गुजरात). मां ही एक ऐसा शब्द होता है जिसमें प्यार, साहस, प्रेरणा और कुछ करने का जज्बा शामिल होता है। कहते हैं कि हर मां की एक अलग कहानी होती है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं, जिसकी ममता को देख आप भी भावुक हो जाएंगे। उसके बेटे की मौत हो चुकी है, लेकिन जब उसको बेटे की याद आती है तो वो उसकी चिता की राख को अपना बिस्तर बनाकर उस पर सो जाती है।

बेटे की चिता की राख को बना लेती है अपना बिस्तर
दरअसल, यह मार्मिक कहानी गुजरात के बनासकांठा जिले के अमीरगढ़ इलाके की है। जहां जूनीरोह गांव की रहने वाली मंगूबेन चौहाण नाम की महिला रहती है। चार महीने पहले उसके बेटे महेश की एक हादसे में मौत हो गई। लेकिन मृतक की मां अभी भी इस सदमे से बाहर नहीं निकल पाई है। वह अपने बेटे की याद में अंतिम संस्कार वाली जगह पर पहुंचकर वहां पर सो जाती है।

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मां का एक ही ठिकाना..श्माशान ही उसका अशियाना
परिवार के लोगों ने बताया कि जब  मंगूबेन घर में नहीं दिखाई देती तो हम श्मशान पहुंच जाते हैं। जहां पर महेशा का अंतिम संस्कार हुआ था। वह वहीं पर हमको सोते हुए मिलती है। किसी तरह हम उसे घर लेकर आते हैं। लेकिन कुछ दिन बाद वह फिर वहां चली जाती है। यह सिलसिला पिछले चार महीनों से चल रहा है।

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