Uttarakhand Election 2022 : पूर्व मुख्यमंत्री Trivendra Singh Rawat नहीं लड़ना चाहते चुनाव, जानें क्यों

बीजेपी सरकार के इस टर्म में सबसे ज्यादा करीब चार साल तक मुख्यमंत्री रहने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत के चुनाव लड़ने पर काफी समय से सस्पेंस था। अब वह खुद चुनाव न लड़ने की इच्छा जता चुके हैं। रावत डोईवाला सीट से तीन बार 2002, 2007 और 2017 का चुनाव जीत चुके हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jan 19, 2022 10:35 AM IST / Updated: Jan 19 2022, 04:18 PM IST

देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Election 2022) से पहले बीजेपी (BJP) से जुड़ी एक खबर ने सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। खबर यह है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के दिग्गज नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने विधानसभा चुनाव न लड़ने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ( JP Nadda) को लिखे एक पत्र में इसका जिक्र किया है। बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत डोईवाला सीट से विधायक हैं।

पत्र में क्या लिखा
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पार्टी अध्यक्ष जेपी से अनुरोध किया कि वह चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। पार्टी अध्यक्ष को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि वह अपना पूरा समय पार्टी अभियान के लिए समर्पित करना चाहते हैं और पार्टी को दोबारा सत्ता में लाना सुनिश्चित करना चाहते हैं।

बड़ी जिम्मेदारी मिलने की खबर
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भी चुनाव न लड़ने के संकेत दिए थे। उन्होंने कार्यकर्ताओं के बीच कहा कि इस बार उन्हें चुनाव लड़ाना है। पार्टी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दे रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रावत को बीजेपी प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बना सकती है।

लंबे समय से चुनाव लड़ने पर था सस्पेंस
त्रिवेंद्र सिंह रावत बीजेपी सरकार के इस टर्म में सबसे ज्यादा करीब चार साल तक मुख्यमंत्री रहने वाले थे। लेकिन इस बार उनके चुनाव लड़ने पर काफी समय से सस्पेंस था। हालांकि, अब वह खुद चुनाव न लड़ने की इच्छा जता चुके हैं। रावत डोईवाला सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस सीट से वह तीन बार 2002, 2007 और 2017 का चुनाव जीते। बावजूद इसके केंद्रीय नेतृत्व के सामने रावत को इस बार टिकट दिए जाने को लेकर असमंजस बना हुआ है, क्योंकि उन्हें बीच कार्यकाल में ही सीएम पद से हटाया गया था। यही नहीं, रावत के कई फैसले धामी और तीरथ सिंह सरकार में बदले भी गए थे।

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