यह मामला दिल्ली में किसी क्राइम से जुड़ा हुआ नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि महिलाओं को ससुरालवालों ने घर से बेदखल कर दिया हो। न ही वे अपने हक के लिए छप्पर पर जाकर चढ़ी हैं। मामला एकदम अलग है। उन्हें जमीन पर ऐसा खतरा दिखा कि अपनी जान बचाने छप्पर पर चढ़ना पड़ा।
दिल्ली. यह तस्वीर मंगलवार शाम की है। यह गर्भवती महिला जमीन पर बढ़ते खतरे को देखकर डरके मारे छप्पर पर चढ़ गई थी। ऐसी और भी महिलाएं थीं, जिन्हें अपने बच्चों के साथ जमीन छोड़कर टूटे-फूटे मकानों की छत पर जाकर बैठना पड़ा। दरअसल, यह खतरा था यमुना के बढ़ते जलस्तर का। कारण यह है कि भारी बारिश के चलते हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़ना पड़ा था। इससे दिल्ली में यमुना नदी के आसपास की बस्तियों के डूबने का खतरा मंडराने लगा था। कई बस्तियों में यमुना का पानी घुस गया था।
उस्मानपुरा जीरो पुस्ता में रहने वालीं नूरजहां गर्भवती हैं। जब यमुना का पानी उनकी बस्ती में पहुंचा, तो लोगों को कहीं भी भागने का मौका नहीं मिला। लिहाजा वे अपने बच्चों के साथ टूटे-फूटे घर के छप्पर पर जाकर खड़ी हो गईं। पूरी रात वे ऊपर ही बैठी रहीं। अगले दिन बोट क्लब के कर्मचारियों ने वहां पहुंचकर उन्हें सुरक्षित निकाला। बुधवार दोपहर को भी ऐसी ही स्थिति दिखाई दी। बाढ़ से बचने कई लोग छतों पर बैठे नजर आए। हालांकि तीन दिनों तक हाहाकार मचाने के बाद यमुना शांत हो गई है। जलस्तर घटने लगा है। लेकिन लोगों की जिंदगी पटरी पर आने में काफी वक्त लगेगा। कई लोगों का पूरा सामान बाढ़ में बह गया। अब सरकार की कोशिश लोगों को बीमारियों से बचाने की है।