
चंडीगढ़. सपनों का घर-अपना घर! ऐसा हर कोई सोचता है। इसके लिए खूब मेहनत करता है। अच्छी नौकरियां हासिल करने कोई कसर नहीं छोड़ता। वहीं, बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उन्हें अच्छे से अच्छे स्कूल में भेजने के लिए भी कोई कसर नहीं छोड़ते। लेकिन यह दम्पती इसमें अपवाद है। यह हैं सिद्धार्थ और उनकी पत्नी स्मृति। इनके 11 साल का बेटा अद्वैत है। यह कपल पिछले ढाई साल से एक शहर से दूसरे शहर घूम रहा है। इन्होंने अपनी कार को ही अपना घर बना लिया है। अद्वैत किसी स्कूल में पढ़ाई करने नहीं जाता। वो ओपन स्कूलिंग से पढ़ाई कर रहा है। सिद्धार्थ एनिमेशन एक्सपर्ट हैं। वे कंसल्टेंसी देते हैं। सिद्धार्थ के पास कई अच्छी नौकरियों के आफर थे, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उनका तर्क है कि वे नौकरी में बंधकर अपनी जिंदगी के अमूल क्षण खोना नहीं चाहते। वहीं, बच्चे को भी स्कूली पढ़ाई से अलग जीवन के तौर-तरीके सिखाना चाहते हैं।
लॉकडाउन ने बहुत कुछ सिखाया...
सिद्धार्थ एजुकेशन आदि से जुड़े प्रोजेक्ट में कंसल्टेंसी देते हैं। वे एनजीओ के बुलावे पर वहां जाते हैं। कुछ दिन वहीं रुकते हैं। एनजीओ वाले ही उनके रुकने-खाने का प्रबंध करते हैं। इसके बाद वे आगे बढ़ जाते हैं। सिद्धार्थ इस समय फतेहगढ़ साहिब के सिमरप्रीत सिंह ओबेरॉय के यहां रुके हुए हैं। ओबेरॉय सांझी शिक्षा नाम से प्रोजेक्ट चला रहे हैं। सिद्धार्थ गांव में ठहरे हैं। वे कहते हैं कि लॉकडाउन ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया। उन्होंने कभी खेती-किसानी होते नहीं देखी थी कि कैसे अनाज पैदा होता है..कितनी मेहनत लगती है। इसे सिद्धार्थ ने लॉकडाउन में देखा। सिद्धार्थ कहते हैं कि वे ऐसा सीखना चाहते हैं कि प्रकृति को सहेजते हुए अपने खाने-पीने का इंतजाम कर सकें।
पंजाब की राजनीति, किसान मुद्दे, रोजगार, सुरक्षा व्यवस्था और धार्मिक-सामाजिक खबरें पढ़ें। चंडीगढ़, अमृतसर, लुधियाना और ग्रामीण क्षेत्रों की विशेष रिपोर्ट्स के लिए Punjab News in Hindi सेक्शन देखें — ताज़ा और प्रामाणिक खबरें Asianet News Hindi पर।