
चंडीगढ़. एक दिन पहले शनिवार को चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर के चुनाव का परिणाम आया था। जिसमें बीजेपी ने बड़ा उलटफेर करते हुए महापौर की कुर्सी जीत ली। जहां भाजपा की सरबजीत कौर चंडीगढ़ की मेयर बन गई हैं। सरबजीत की जीत के पीछे के कहानी बेहद दिलचस्प है, जिस पर वह खुद यकीन नहीं कर पा रही हैं। नवनिर्वाचित मेयर सरबजीत कौर पार्षद का भी चुनाव नहीं लड़ना चाहती थीं, लेकिन किस्मत ने ऐसा पलटी मारी कि वह पहली बार में वह मेयर बन गई हैं।
पहली ही बार में चमकी ऐसी किस्मत
दरअसल, सरबजीत कौर मूलरुप से चंडीगढ़ के सेक्टर-13 मनीमाजरा की रहने वाली हैं। वह पूर्व पार्षद जगतार सिंह जग्गा की पत्नी हैं। सरबजीत कौर पार्षद तक का चुनाव नहीं लड़ना चाहती थीं। उन्होंने पहले ही इनकार कर दिया क्योंकि वह राजनीति में नहीं आना चाहती हैं। अपने परिवार पर ही ध्यान देना चाहती हैं। लेकिन वार्ड नंबर-6 की सीट महिला के लिए आरक्षित थी। ऐसे में बीजेपी ने जबरन उनको नगर निगम चुनाव लड़ने के लिए कहा और वार्ड नंबर-6 से अपना उम्मीदवार बनाया। किस्मत देखो कि वह चुनाव जीत गईं और नगर निगम जा पहुंचीं। उनकी कामयाबी का किस्सा यहीं नहीं रुका।
बेटी की खातिर ठुकरा दिया था ऑफर
बता दें कि सरबजीत कौर की एक बेटी और बेटा है। बेटा इंदरप्रीत सिंह ऑस्ट्रेलिया में आर्किटेक्ट की पढ़ाई कर रहा है, जबकि बेटी गुरलीन कौर (19) मानसिक रूप से बीमार है, इसलिए वह नहीं चाहती थीं कि वो चुनाव लड़ें। क्योंकि वह अपनी बीमार बेटी का ध्यान रखना चहाती थीं, वह कह भी चुकी थीं मुझे तो सिर्फ अपनी बेटी की सेवा करनी हैं। पार्टी ने जब टिकट का ऑफर दिया तो उन्होंने यही हवाला देते हुए इनकार कर दिया था। लेकिन पति के कहने के पर उन्होंने चुनाव लड़ा और मेयर के पद के लिए सभी दलों को पछाड़ते हुए चंडीगढ़ के मेयर बन गईं।
पति के कहने पर राजनीति में रखा कदम
वहीं सरबजीत कौर के पति और भाजपा से पूर्व पार्षद रह चुके जगतार सिंह जग्गा ने कहा कि उन्होंने चुनाव के लिए बड़ी मुश्किल से पत्नी को तैयार किया था। उन्होंने पत्नी से कहा था कि वह चुनाव लड़ें, बेटी की सेवा और उसका ख्याल में रख लूंगी, पार्टी ने तुझको ये मौका दिया है, इसे छोड़ना नहीं चाहिए। लेकिन हमें नहीं पता था कि यह मौका उसको चंडीगढ़ का मेयर बना देगी। उसकी इस कामयाबी से मैं बहुत खुश हूं।
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