चंडीगढ़-अंबाला रोड पर जीरकपुर स्थित एक बिल्डिंग में रहने वाली 23 साल की लड़की की डेंगू से मौत हो गई थी। भाई बिल्डर के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराने पहुंचा, तो उसे निराशा हाथ लगी। लेकिन उसने हार नहीं मानी और कोर्ट से न्याय लिया।
चंडीगढ़. 23 साल की ईशा गौड़ की 21 महीने पहले डेंगू से मौत हो गई थी। अपनी बहन की असमय मौत ने भाई को दुखी कर दिया। ईशा चंडीगढ़-अंबाला रोड पर जीरकपुर स्थित बिल्डर कंपनी के टावर नंबर-2 के फ्लैट नंबर-2 में रहती थी। ईशा की मौत के लिए उसका भाई बिल्डर को दोषी मान रहा था। दरअसल, वहां पानी के भराव के कारण डेंगू के लार्वा पनप रहे थे। शिकायत करने के बावजूद बिल्डर ने ध्यान नहीं दिया था।
ईशा की बुआ का लड़का शिवम मोहाली के सेक्टर-22 में रहता है। शिवम ने बताया कि वो अपने पापा और कुछ रिश्तेदारों के साथ 18 अक्टूबर को जीरकपुर पुलिस स्टेशन में बिल्डर के खिलाफ शिकायत लेकर पहुंचा था। वहां एएसआई बलविंदर सिंह ने भद्दा मजाक किया। उनका जवाब था कि 'आप लोग चाहते हो कि पुलिस डेंगू के मच्छर को पकड़कर सलाखों के पीछे डाल दे? पुलिसकर्मी ने बिल्डर से पैसा दिलाने की बात भी कही शिवम ने बताया कि वो अपनी शिकायत लेकर चार बार SSP ऑफिस भी गया। लेकिन किसी के पास संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
आखिकार ईशा के परिवार ने डेराबस्सी कोर्ट में याचिका लगाई। कोर्ट ने मोहाली पुलिस को फटकार लगाते हुए बिल्डर कंपनी के प्रबंधकों के खिलाफ धारा 304ए तहत केस दर्ज करने के आदेश दिए हैं। ईशा के पिता दिनेश गौड़ चंडीगढ़ ओर्डिनेंस फैक्ट्री में हैं। मां केवी स्कूल में टीचर हैं। बताते हैं कि 2017 में पूरे परिवार को डेंगू हो गया था। सेक्टर-34 के प्राइवेट अस्पताल में सबको भर्ती कराया गया था। लेकिन 17 अक्टूबर 2017 को ईशा की मौत हो गई।
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