5 साल से कबाड़ की तरह खड़ा था यह इंजन, इंजीनियरों ने लगाई यह ट्रिक और ये फिर से पटरी पर दौड़ पड़ा

आवश्यकता आविष्कार की जननी है। कोई चीज बेकार नहीं होती, बस हम उसका उपयोग करना बंद कर देते हैं। कई कबाड़ चीजों से नई चीजें बनाई जा सकती हैं। लुधियाना के लोको शेड में खड़ा यह बेकार इंजन जुगाड़ बैठाकर फिर से पटरी पर दौड़ दिया गया है। यह इंजन 5 साल से खड़ा हुआ था। लेकिन इसे मॉडिफाई करके बैटरी से चला दिया गया है।

लुधियाना, पंजाब. इस दुनिया में हर चीज का उपयोग संभव है, चाहो वो कबाड़ ही क्यों न हो। आवश्यकताएं कई आविष्कारों को जन्म देती हैं। कबाड़ से कई उपयोग चीजें बनाई जा सकती हैं और जुगाड़ से कई कबाड़ चीजों को फिर से काम में लाया जा सकता है। लुधियाना के लोको शेड में खड़ा यह बेकार इंजन जुगाड़ बैठाकर फिर से पटरी पर दौड़ दिया गया है। यह इंजन 5 साल से खड़ा हुआ था। लेकिन इसे मॉडिफाई करके बैटरी से चला दिया गया है। इस मॉडिफाई करने में 5 लाख रुपए खर्च हुए। नार्दर्न रेलवे के इंजीनियरों ने इस इंजन का नाम आजाद रखा है। क्योंकि यह अब आजाद होकर पटरी पर दौड़ने लगा है। इस इंजन का उपयोग अब ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन की मरम्मत के होगा। क्योंकि यहां बिना बिजली के इंजन ही पहुंचते हैं।

 

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25 केवी सप्लाई से चलता था यह..
यह इंजन 2015 के बाद से लुधियाना के लोको शेड में खड़ा था। यह 25केवी सप्लाई से चलता था। लुधियाना रेलवे स्टेशन के डायरेक्टर तरुण कुमार ने बताया कि इस इंजन को फिर से चलते देखना वाकई आश्चर्य है। यह इंजन रेलवे के करीब 1.80 लाख बचाएगा। वहीं पॉल्युशन भी रोकेगा।

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