किसान आंदोलन का 1 साल: देशभर से दिल्ली कूच कर रहे किसान, टीकरी बॉर्डर पर होगी किसानों की महापंचायत

संयुक्त किसान मोर्चा ने संसद सत्र शुरू होने पर 29 नवंबर से हर दिन 500 किसानों के साथ संसद तक ट्रैक्टर मार्च करने का कार्यक्रम तय किया है। इसके साथ ही बड़ी संख्या में किसानों की बड़ी भीड़ जुटाने का दावा किया है। इसको देखते हुए दिल्ली के साथ हरियाणा पुलिस भी अलर्ट हो गई है। पंजाब और हरियाणा से भी हजारों की संख्या में किसान बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। इन दोनों राज्यों की सड़कों पर किसानों और ट्रैक्टरों की लाइन देखी जा रही है।

नई दिल्ली। किसान आंदोलन (Kisan Andolan) का आज एक साल पूरा हो गया है। गुरुवार को देशभर के किसान दिल्ली (Delhi) के लिए कूच कर रहे हैं। यहां टीकरी बॉर्डर पर भी बड़ी संख्या में किसान इकट्ठा होंगे। कुछ दूरी पर सेक्टर-13 में भारतीय किसान यूनियन एकता (उग्राहां) की तरफ से महापंचायत की जा रही है। इस महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के बड़े नेताओं को बुलाया गया है। ये महापंचायत करीब 7 एकड़ में की जाएगी।

दरअसल, संयुक्त किसान मोर्चा ने संसद सत्र शुरू होने पर 29 नवंबर से हर दिन 500 किसानों के साथ संसद तक ट्रैक्टर मार्च करने का कार्यक्रम तय किया है। इसके साथ ही बड़ी संख्या में किसानों की बड़ी भीड़ जुटाने का दावा किया है। इसको देखते हुए दिल्ली के साथ हरियाणा पुलिस भी अलर्ट हो गई है। पंजाब और हरियाणा से भी हजारों की संख्या में किसान बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। इन दोनों राज्यों की सड़कों पर किसानों और ट्रैक्टरों की लाइन देखी जा रही है।

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किसानों के जत्थों की लगी लाइनें...
गुरुवार को पानीपत टोल से किसान यूनियन का झंडा लगीं 10 हजार कारें गुजरीं। इसके साथ ही पानीपत के किसान 70 ट्रैक्टर लेकर दोपहर में ही सिंघु बॉर्डर के लिए रवाना हो गए थे। शुक्रवार सुबह पंजाब से चलकर किसान अंबाला, शाहबाद और करनाल होते हुए पानीपत आएंगे। यहां पानीपत टोल पर उनके के लिए हलवे का प्रसाद तैयार किया जा रहा है। प्रसाद ग्रहण करने के बाद वे सिंघु बार्डर के लिए रवाना होंगे। पानीपत के किसान दो जगहों से सिंघु बॉर्डर के लिए रवाना होंगे। कुछ किसान पानीपत टोल से तो कुछ समालखा में हलदाना बॉर्डर से रवाना होंगे।

50 हजार किसानों के लिए तैयार हो रहा हलवा
पानीपत टोल प्लाजा पर 50 हजार किसानों के लिए हलवा तैयार किया जा रहा है। 25 नवंबर की रात से ही हलवा तैयार करना शुरू कर दिया गया। इसके साथ ही भोजन भी तैयार किया जा रहा है। पंजाब से आने वाले हर किसानों को भोजन और हलवे का प्रसाद ग्रहण करने का न्योता दिया गया है। शुक्रवार सुबह 8 बजे से पानीपत टोल प्लाजा पर अलग-अलग गांवों के किसान एकत्रित होने लगे। भारतीय किसान यूनियन के जिला प्रधान सोनू मालपुरिया ने बताया कि अलग-अलग ब्लॉक के किसान सीधा दिल्ली के लिए रवाना होंगे। पानीपत टोल पर करीब 50 से ज्यादा गांव के किसान पहुंच जाएंगे। सुबह 9 बजे पंजाब से आने वाले किसानों का स्वागत किया जाएगा फिर सुबह 10 बजे सिंघु बॉर्डर के लिए रवाना होंगे।

‘जंग अभी जारी है, एमएसपी की बारी है’
किसान नेता राकेश टिकैत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्टर जारी किया और लोगों से आंदोलन स्थल पर आने की अपील की। पोस्टर पर किसानों ने ‘जंग अभी जारी है अब एमएसपी की बारी है’ लिखकर सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी कानून बनाने की मांग की। 

पुलिस ने बढ़ाए सुरक्षा इंतजाम
दिल्ली पुलिस ने किसानों के बड़ी संख्या में पहुंचने की संभावना पर दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे (दिल्ली सीमा) पर लोहे और सीमेंटेड बैरियर लगाने शुरू कर दिए हैं। हालांकि दिल्ली पुलिस की तरफ से अभी दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे बंद करने को लेकर आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई। गुरुवार शाम से ही यूपी गेट फ्लाईओवर पर सुरक्षा बल की तैनाती और बैरिकेड लगाने का काम शुरू कर दिया गया। 15 दिन पहले ही बेरिकैड हटाए थे।

फिलहाल बॉर्डर से नहीं हटने वाले किसान...
नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने वाले किसानों ने साफ कर दिया है कि अभी वे बॉर्डर से हटने वाले नहीं हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि 29 नवंबर से शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान वे अपने पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार ही विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। इसे लेकर दिल्ली पुलिस हाई अलर्ट पर है। पुलिस के आला अधिकारियों और किसान संगठनों के नेताओं के बीच बैठकों का सिलसिला शुरू हो चुका है, लेकिन अभी बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। किसान संगठन इस बात पर अड़े हुए हैं कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान रोज 500 किसान ट्रैक्टर ट्रॉली पर सवार होकर संसद तक मार्च करेंगे और अपना विरोध जताएंगे।

संसद तक किसानों को ट्रैक्टर मार्च की अनुमति नहीं मिलेगी
इस बीच, दिल्ली पुलिस के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने यह साफ किया है कि संसद सत्र के दौरान ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर नई दिल्ली में आने की इजाजत किसी कीमत पर नहीं दी जा सकती, क्योंकि इससे संसद भवन और सांसदों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। हालांकि, अभी किसान मांगों पर अड़े हुए हैं, लेकिन बातचीत के जरिए उन्हें मनाने की कोशिश की जा रही है। दिल्ली की नॉर्दर्न रेंज के जॉइंट कमिश्नर और इस जोन के स्पेशल कमिश्नर के अलावा कुछ डीसीपी भी इस काम में लगाए गए हैं। पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने भी कहा है कि हम किसी को भी कानून व्यवस्था को तोड़ने की इजाजत नहीं दे सकते, लेकिन अगर कोई लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करके अपनी बात रखना चाहता है, तो उसे रोकेंगे भी नहीं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि संसद के मॉनसून सत्र के दौरान उन्हीं के निर्देशन में दिल्ली पुलिस ने किसान संगठनों को रोज जंतर मंतर पर आकर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने की इजाजत दी थी और उस दौरान पुलिस खुद अपनी निगरानी में प्रदर्शनकारियों को बॉर्डर से लाती ले जाती थी।

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