पटियाला जेल में ऐसे कट रहा सिद्धू का वक्त, सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक करते हैं ड्यूटी, जानिए कितनी मिलेगी पगार

गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय ने सिद्धू को बरी करने के अपने मई 2018 के आदेश की समीक्षा की है और उन्हें एक साल की जेल की सजा सुनाई। इससे पहले अदालत ने उन्हें का जुर्माना देकर छोड़ दिया था। 

पटियाला : रोड रेज केस में एक साल की सजा काट रहे पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) की ड्यूटी पटियाला जेल ऑफिस में लगाई गई है। जहां उन्हें क्लर्क का काम सौंपा गया है। सुरक्षा कारणों से उनको यहां की जिम्मेदारी दी गई है। सिद्धू बैकर में ही कामकाज निपटाएंगे। फाइलों का काम देखेंगे। हर दिन उनके पास कुछ फाइलें भेजी जाएंगी। सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक उन्हें काम करना होगा। बता दें कि तीन दशक पुराने रोड रोज केस में उन्हें एक काल की जेल की सजा दी गई है। 

तीन महीने नहीं मिलेगी दिहाड़ी
सिद्धू को जो काम सौंपा गया है, उसके लिए उनको कोई पैसा नहीं दिया जाएगा। तीन महीने तक उन्हें मुफ्त में ये काम करना होगा। जेल प्रशासन का कहना है कि चूंकि सिद्धू के पास इस काम का कोई अनुभव नहीं है तो उन्हें तीन महीने ऐसे ही काम करना होगा। यह नियम में भी है कि जिन कर्मचारियों के पास काम का एक्सपीरिएंस नहीं है, उन्हें तीन महीने तक कोई सैलरी नहीं दी जाती। तीन महीने बाद उन्हें हर दिन 30 रुपए के हिसाब से औरकाम का अनुभव होने के बाद रोजाना 90 रुपए बतौर वेतन दिया जाएगा।

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सिद्धू का पूरा सहयोग मिल रहा-जेल प्रशासन
पटियाला सेंट्रल जेल के सुपरिटेंडेंट मनजीत सिंह टिवाणा ने मीडिया को बताया कि चूंकि सिद्धू के पास अच्छा खासा नॉलेज है और वे पढ़े-लिखें भी हैं। इसी को देखते हुए यह काम दिया गया है। उन्हें फैक्ट्री या बेकरी में भी काम कराया जा सकता था लेकिन उनकी सुरक्षा को देखते हुए फिलहाल वहां काम करने नहीं भेजा गया। फैक्ट्री और बेकरी में बड़े क्रिमिनल को काम करने के लिए भेजा जाता है। 

क्या है पूरा मामला
बता दें कि तीन दशक पहले 27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने एक दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट पहुंचे। वहां कार पार्किंग को लेकर 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से उनका विवाद हो गया। यह इतना बढ़ा कि हाथापाई की नौबत तक आ गई। गुस्से में सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मुक्का मारा और घुटना मारकर गिरा दिया। बुजुर्ग गुरनाम सिंह को गहरी चोट लगी तो उन्हें अस्पताल ले जाया गया। जहां उनकी मौत हो गई। इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।

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