चरणजीत सिंह चन्नी कांग्रेस को न सिर्फ कैप्टन ऐरा से निकाल कर लाने में कामयाब रहे, बल्कि सीएम पद की महाराजा वाली छवि को तोड़ते हुए इस पद को आम आदमी की पहुंच में ले आए। यही कारण थे एक बार फिर से पंजाब में कांग्रेस की चर्चा होने लगी थी। लेकिन प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने चरणजीत सिंह चन्नी के सारे किये धरे पर पानी फेर दिया।
पंजाब से मनोज ठाकुर की रिपोर्ट
चंडीगढ़ : 10 मार्च को हुई मतगणना में पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 (Punjab Chunav 2022) आम आदमी पार्टी के नाम रही। सरकार में रहने के बाद भी कांग्रेस (Congress) का पंजाब से सूपड़ा साफ हो गया और वो 18 सीट पर सिमट कर रह गई। आम आदमी पार्टी को पंजाब की जनता ने पूर्ण बहुमत के साथ 92 सीट दिया है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि कांग्रेस की बुरी तरह से हार हुई। Asianet Hindi के रिपोर्टर मनोज ठाकुर ने बताया, चुनाव के दौरान जब वो पंजाब दौरे पर थे, उस समय कांग्रेस को लेकर क्या कुछ देखा और समझा था। उन्होंने बताया - पूरे पंजाब में सिर्फ एक सीट ऐसी थी, जिसमें सड़क किनारे सीमेंट टाइल लगाने का काम चल रहा था। यह सीट थी, रोपड़ जिले की चमकौर साहिब। यहां से पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव के दौरान सरकारी विकास कार्य कैसे? जब इसका कारण जानने की कोशिश की तो पता चला कि यह काम चरणजीत सिंह चन्नी के सीएम पद संभालने के 15 दिन बाद ही मंजूर हुआ था। बजट पास कराकर टेंडर किए और अब काम चल रहा है। यह विकास कार्य आदर्श आचार संहिता के दायरे में नहीं आता। चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) ने 111 दिन में कांग्रेस के लिए जो काम किए, चमकौर साहिब में चल रहा यह विकास कार्य इसकी एक झलक भर है।
..और अरमानों पर सिद्धू ने पानी फेर दिया
चरणजीत सिंह चन्नी कांग्रेस को न सिर्फ कैप्टन ऐरा से निकाल कर लाने में कामयाब रहे, बल्कि सीएम पद की महाराजा वाली छवि को तोड़ते हुए इस पद को आम आदमी की पहुंच में ले आए। यही कारण थे एक बार फिर से पंजाब में कांग्रेस की चर्चा होने लगी थी। लेकिन प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने चरणजीत सिंह चन्नी के सारे किये धरे पर पानी फेर दिया। जो पार्टी जीतने जा रही थी, चुनाव परिणाम के शुरुआती रुझान में वो बहुमत से कोसों-कोसों दूर दिखाई पड़ रही है। आइए जानते हैं पंजाब चुनाव में कांग्रेस की हार के पीछे वो 10 सबसे बड़े कारण क्या हो सकते हैं...।
1 - सिद्धू का अकाली दल पर हमला
शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) विधानसभा चुनाव में... रहने वाले थे। लेकिन वह ... सीट हासिल करते हुए .. पोजिशन पर रहे। इसमें बहुत हद तक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की वह विवादित बयानबाजी जिम्मेदार मानी जा रही है,जो वह अकाली दल के प्रति लगातार करते रहे। उन्होंने बिक्रमजीत सिंह मजीठिया (Bikram Singh Majithia) पर व्यक्तिगत हमला बोलना शुरू कर दिया। उन्हें चैलेंज तक कर दिया। मजीठिया ने चैलेंज स्वीकार करते हुए अमृतसर ईस्ट विधानसभा (Amritsar East Assembly Constituency) से ताल ठोक दी। इससे अकाली दल का ग्राफ बढ़ा। सिद्धू इस सीट पर अंत तक फंसे रहे।
2 - कैप्टन को हटाने का समय सही नहीं था, इसलिए उन्होंने डाला डेंट
चुनाव से कुछ समय पहले ही कांग्रेस ने कैप्टन को सीएम पद से हटा दिया। जिस तरह से उन्हें इस पद से हटाया गया, इसे उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया। वह लगातार कांग्रेस का विरोध करते रहे। बाद में अपनी पार्टी बना कर भाजपा (BJP) के साथ गठबंधन कर लिया। कैप्टन को हटाने का कांग्रेस का समय सही नहीं था। यदि उन्हें चुनाव से एक साल पहले हटा दिया जाता तो चन्नी चीजों को संभाल सकते थे। कैप्टन के जिस वक्त हटाया गया, वह न तो समय सही था और न ही चन्नी को इतना वक्त मिला ही वह चीजों को संभाल सके।
3 - नेताओं की बगावत
कांग्रेस के 16 विधायकों ने बगावत कर दी। इसमें से कई विरोधी पार्टी में चले गए। जो नहीं गए, वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में लगे रहे। इससे मतदाता पर पार्टी की पकड़ ढीली पड़ती चली गई।
4 - चन्नी का विवादित बयान कि भईयों को रोकना है
चुनाव के बीच में प्रचार करते हुए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने भईयों को रोकने वाला बयान दिया। भाजपा ने इस बयान पर कांग्रेस को घेर लिया। पंजाब का प्रवासी वोटर कांग्रेस से नाराज हो गया। बयान के नुकसान को कांग्रेस पहले तो समझ नहीं पाई। जब समझे तो देर हो चुकी थी।
5 - सिद्धू का साइलेंट जोन में चले जाना
सीएम फेस चरणजीत सिंह चन्नी को घोषित करने से पार्टी प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू साइलेंट जोन में चले गए। वह ज्यादा सक्रिय नहीं रहे। उम्मीद तो यह की जा रही थी कि वह प्रदेश भर में चुनाव प्रचार करेंगे। लेकिन वह अपनी ही सीट तक सीमित हो गए।
6 - सुनील कुमार जाखड़ का हिंदू फेस वाला खुलासा
चुनाव के बीच में सुनील जाखड़ (Sunil Kumar Jakhar) ने बयान दिया कि उन्हें हिंदू होने की वजह से सीएम नहीं बनाया गया। क्योंकि कांग्रेस किसी सिख चेहरे को सीएम बनाना चाहती थी। इस बयान से कांग्रेस की आलोचना हुई। खासतौर पर हिंदू वोटर कांग्रेस से नाराज हो गया।
7 - भाजपा की मजबूत रणनीति
भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ जबदस्त प्रचार रणनीति बनाई। इससे मतदाता के बीच पार्टी की छवि नेगटिव होती चली गई। कांग्रेस भाजपा के प्रचार सिस्टम का मुकाबला नहीं कर पाई। इस वजह से पार्टी लूज करती चली गई।
8 - सत्ता विरोधी लहर
हालांकि कैप्टन को हटा कर कांग्रेस ने चन्नी को सीएम तो बना दिया। लेकिन इससे भी सत्ता विरोधी लहर पूरी तरह से खत्म नहीं हुई। चन्नी ने कोशिश तो खूब की। लेकिन वह इसमें बहुत हद तक कामयाब नहीं हो पाए। 9कोई ठोस मुद्दा नहीं पकड़ पाए कांग्रेस चुनाव प्रचार में ऐसा कोई ठोस मुद्दा नहीं पकड़ पाए, जिस पर मतदाता को पार्टी के साथ जोड़ा जा सके। वह कभी नशा माफिया तो कभी रेत तस्कर पर अटके रहे। कैप्टन की आलोचना करते हुए भी प्रचार की कोशिश की, लेकिन यह मुद्दा चल नहीं पाए। इससे मतदाता को कांग्रेस संतुष्ट नहीं कर पाई।
10 - चन्नी के भतीजे का खुद ईडी में फंस जाना
इसी बीच चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे का ईडी में रेड में फंस जाना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित हुआ। इससे सीएम चन्नी की छवि पर गहरा धक्का लगा। यह भी एक कारण रहा कि मतदाता कांग्रेस से छिटकते चले गए।
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