आंदोलन में कोई किसान जिंदा जला तो किसी की दर्दनाक मौत, परिवार को पंजाब सरकार देगी 5-5 लाख की मदद

अपने हक की लड़ाई लड़ रहे पंजाब के किसान अपनी जान की कीमत लगा रहे हैं। एक किसान की मौत पानी की बौछारें पड़ने से तो दूसरे की कार में लगी आग से जिंदा जलने से हुई। वहीं कुछ किसान बेचारे भूखे-प्यासे ही मर गए।
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 3, 2020 3:28 PM IST

जालंधर. पंजाब से शुरू हुआ कृषि कानून के विरोध में आंदोलन देश की राजधानी दिल्ली तक पहुंच गया है। मोदी सरकारी की तमाम कोशिशों के बावजूद के बाद भी पंजाब-हरियाणा के किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। किसान आंदोलन के दौरान अब तक 7 दिन में 4 किसानों की मौत हो चुकी है। पंजाब की कैप्टन सरकार मृतकों के परिवार की मदद करने के लिए आगे आी है। सीएम ने पीड़ित परिजनों के लिए  5-5 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की है।

भूखे-प्यासे हजारों किसानों ने दिल्ली में डाला डेरा...
दरअसल, पिछले दो महीने से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं। वह एक ही बात कह रहे हैं कि अब चाहे हमारी जान ही क्यों ना चली जाए, पर धरती माता का हक लेकर रहेंगे। हजारों की संख्या में पंजाब-हरियाणा और राजस्थान के किसान भूखे-प्यासे मोदी सरकार का विरोध करने के लिए दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं।

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कोई किसान जिंदा जला तो किसी की हुई दर्दनाक मौत
अपने हक की लड़ाई लड़ रहे पंजाब के किसान अपनी जान की कीमत लगा रहे हैं। बता दें कि  चार दिन पहले जुलाना में हुई पानी की बौछार में भीगने के बाद से एक इसी के चलते उनकी मौत हो गई। वहीं दूसरे किसान की मौत कार में लगी आग में जिंदा जल जाने से हुई थी। तो किसी की भूख-प्यास की वजह से जान गई है।

हर किसान के दिल में है उनकी आवाज
दरअसल, बुधवार देर रात 60 साल के किसान गुरजंत सिंह की बहादुरगढ़ बॉर्डर पर मौत हो गई। वह पिछले दो महीने से इस आंदोलन का हिस्सा थे। कुछ दिन पहले वो खनौरी बॉर्डर से होते हुए दिल्ली पहुंचे थे। भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के राज्य उपाध्यक्ष जोगिंदर सिंह ने बताया कि उनकी जान हम बेकार नहीं जाने देंगे। उनकी आवाज हमारे दिलों में जिंदा है।

कड़ाके की ठंड में घरों से दूर हैं हजारों किसान
बता दें कि सैकड़ों किलोमीटर दूर हजारों किसान कड़ाके की ठंड में अपने घरों को छोड़कर देश की राजधानी दिल्ली में आंदोलन कर रहे हैं। उनको ना तो सर्दियों परवाह है और ना ही अपनी परिवार की। वह कहते हैं कि हम अपने हक के लिए लंबे संघर्ष के लिए तैयार हैं।जब तक उनकी मांगें मान नहीं ली जातीं तब तक वे हटेंगे। वो दवाईयां से लेकर राशन तक लेकर आए हुए हैं।

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