पंजाब पुलिस के Ex DGP मोहम्मद मुस्तफा भले तहजीब भूले, मगर FIR दर्ज करते वक्त जांच अधिकारी ने दिया पूरा सम्मान

जब मुस्तफा के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई तो शिकायतकर्ता के नाम के साथ जो मोबाइल नंबर लिखा गया, वह गलत है। पुलिस ने एफआइआर में मोबाइल नंबर 9592912468 लिखा है। Asianet News Hindi ने जब इस नंबर पर संपर्क किया तो यह हरियाणा-पंजाब की सीमा पर पंजाब पुलिस की चौकी के एएसआई गुरविंदर सिंह का निकला।

Asianet News Hindi | Published : Jan 23, 2022 9:54 AM IST

मनोज ठाकुर, चंडीगढ़। पुलिस धर्म, मजहब, रंग या किसी भी तरह के भेदभाव से ऊपर है। लगता है पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा पुलिस की इस तहजीब को आत्मसात नहीं कर पाए। कांग्रेस के टिकट पर मलेरकोटला से चुनाव लड़ रहीं अपनी पत्नी रजिया सुल्ताना के लिए ज्यादा से ज्यादा वोट पाने के लिए उन्होंने हिंदू-मुस्लिम कार्ड तक खेलने में झिझक महसूस नहीं की। सरेआम एक सभा में उन्होंने हिंदू समुदाय के प्रति बहुत ही विवादित टिप्पणी की। 

अब जब पुलिस इस आरोप में उनके खिलाफ केस दर्ज कर ही थी तो उन्हें पूरा सम्मान दिया गया। पंजाबी में दर्ज की गई एफआईआर में मुस्तफा को जांच अधिकारी ने नाम लिखने से पहले श्री लिखा। आमतौर पर जब पुलिस एफआइआर दर्ज करती है तो इस तरह की सौम्यता नहीं दिखाती। मगर, क्योंकि मामला पूर्व डीजीपी से जुड़ा है, इसलिए पुलिस ने एफआइआर तो भले ही दर्ज कर ली हो, लेकिन उनके सम्मान में कोई कमी नहीं आने दी। 

यह संयोग है या पुलिस की लापरवाही 
जब मुस्तफा के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई तो शिकायतकर्ता के नाम के साथ जो मोबाइल नंबर लिखा गया, वह गलत है। पुलिस ने एफआइआर में मोबाइल नंबर 9592912468 लिखा है। Asianet News Hindi ने जब इस नंबर पर संपर्क किया तो यह हरियाणा-पंजाब की सीमा पर पंजाब पुलिस की चौकी के एएसआई गुरविंदर सिंह का निकला। जब उनसे संपर्क किया गया तो एएसआई ने बताया कि पता नहीं कैसे उनका नाम शिकायतकर्ता के नाम के साथ लिख दिया। उन्होंने बताया कि वह संबंधित पुलिस स्टेशन से इस संबंध में बातचीत करेंगे। 

मशक्कत के बाद दर्ज हुई एफआईआर 
बताया जा रहा है कि पहले तो पुलिस एफआइआर ही दर्ज नहीं करना चाह रही थी। मलेरकोटला के हिंदू सभा के सदस्य प्रदीप शर्मा ने बताया कि वह शनिवार से ही पुलिस के पास चक्कर काट रहे हैं, लेकिन शिकायत दर्ज करना तो दूर की बात, उसकी शिकायत ली तक नहीं गई। उन्हें पुलिस स्टेशन से वापस ही भेज दिया गया। इसके बाद जब उन्होंने शहर में प्रदर्शन करने की चेतावनी दी तब भी पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया। बस, यह आश्वासन दिया कि पहले वीडियो की जांच की जाएगी। क्योंकि ऐसा भी हो सकता है कि वीडियो से छेड़छाड़ की गई हो, लेकिन रविवार सुबह पता चला कि पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। निश्चित ही यह अच्छी बात है।

जांच भी होनी चाहिए 
सामाजिक कार्यकर्ता सतपाल चोपड़ा ने बताया कि इस मामले की जांच भी होनी चाहिए। क्योंकि यह भी हो सकता है कि मामले को शांत करने के लिए पुलिस ने केस तो दर्ज कर लिया। लेकिन बाद में इसे रफा-दफा कर दिया जाए। जिस तरह से शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर भी गलत लिखा गया है। इससे उसके बारे में भी पता नहीं चल पा रहा है। यह भी हो सकता कि मिलीभगत के चलते ही पहले केस दर्ज कर लिया गया, बाद में इसे योजनाबद्ध तरीके रफा-दफा कर दिया जाए। 

चुनाव आयोग क्यों चुप है? 
यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि अभी तक चुनाव आयोग की ओर से इस पर क्यों कोई नोटिस नहीं लिया गया। होना तो यह चाहिए था कि चुनाव आयोग स्वयं संज्ञान लेकर केस दर्ज करवाता। इसके बाद उनकी पत्नी का कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर आवेदन भी रद्द होना चाहिए था। लेकिन, इतनी बड़ी बात होने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अकाली दल ने भी मांग की कि चुनाव आयोग को इस पर सख्त नोटिस लेना चाहिए। जिससे समाज को बांट कर राजनीति चमकाने वालों को कड़ा सबक मिल सके।

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