राज्यपाल ने नहीं दी पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की अनुमति, AAP की विश्वास प्रस्ताव लाने की योजना फेल

पंजाब के राज्यपाल ने विश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की अनुमति वापस ले ली है। राज्यपाल ने इस मामले में कानूनी राय मांगी है। आप सरकार ने विश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 21, 2022 4:36 PM IST

चंडीगढ़। पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने बुधवार को विश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की आप सरकार की योजना को विफल कर दिया। राज्यपाल ने गुरुवार को विशेष सत्र बुलाने के पहले के आदेश को वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा द्वारा राजभवन से संपर्क कर कहा गया कि सदन के नियमों के अनुसार इस तरह विशेष सत्र बुलाने की अनुमति है। राज्यपाल ने इस मामले में कानूनी राय मांगी है। 

राजभवन के ताजा आदेश में कहा गया है कि विधानसभा के नियम सिर्फ सरकार के पक्ष में विश्वास मत पारित करने के लिए सत्र बुलाने की अनुमति नहीं देते हैं। आप ने आरोप लगाया था कि भाजपा उसके विधायकों को खरीदकर पंजाब में सरकार गिराने की कोशिश कर रही है। आप सरकार ने विश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था। 

विश्वास मत लाने की जरूरत क्यों पड़ी
विपक्षी भाजपा और कांग्रेस ने आप के कदम की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वह अपनी विफलताओं से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए विश्वास प्रस्ताव का नाटक कर रही है। विपक्ष ने पूछा कि आप को विश्वास मत लाने की जरूरत क्यों पड़ी, जबकि किसी ने यह दावा नहीं किया कि उसने सदन में अपना बहुमत खो दिया है।

राज्यपाल ने पहले दी थी विशेष सत्र बुलाने की अनुमति
राज्यपाल ने 20 सितंबर को 22 सितंबर को विशेष सत्र बुलाने की अनुमति दी थी। बुधवार को उन्होंने अनुमति वापस ले ली। आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने राज्यपाल पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया कि राज्यपाल कैबिनेट द्वारा बुलाए सत्र को कैसे मना कर सकते हैं? फिर तो जनतंत्र खत्म है। दो दिन पहले राज्यपाल ने सत्र की इजाजत दी थी।

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गौरतलब है कि कांग्रेस नेताओं प्रताप सिंह बाजवा व सुखपाल सिंह खैरा और पंजाब भाजपा प्रमुख अश्विनी शर्मा ने आप सरकार द्वारा लाए जा रहे 'विश्वास प्रस्ताव' के लिए बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र के खिलाफ राज्यपाल से शिकायत की थी। कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने तर्क दिया कि राज्य सरकार के पक्ष में केवल एक 'विश्वास प्रस्ताव' लाने के लिए विशेष सत्र बुलाने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। इसके बाद राज्यपाल ने विशेष सत्र बुलाने की अनुमति वापस ले ली।

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