किसान के बच्चे भी नहीं पीछे: सुबह टॉली में बैठ करते ऑनलाइन क्लास, दोपहर बाद आंदोलन में होते शामिल


किसान आंदोलन में बच्चे सुबह ट्रॉलियों में बैठकर ऑनलाइन क्लास में हिस्सा लेते हैं तो दिन में आंदोलन में शामिल हो जाते हैं। वह किसी ना किसी तरह से पिता का साथ देते हैं। खाना बनाने से लेकर अन्य कामों में मदद कर रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Dec 2, 2020 7:32 AM IST / Updated: Dec 02 2020, 01:04 PM IST

पंजाब/ हरियाणा. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन आज 7वें दिन भी जारी है। सरकार और किसानों के बीच एक मंगलवार को हुई बातचीत बेनतीजा रही। इस आंदोलन में युवा, बुजुर्ग व महिलाओं के साथ बच्चे भी शामिल हो रहे हैं। बच्चे अपने पिता की हक की लड़ाई में पूरा साथ दे रहे हैं।

एक हाथ में पेन तो दूसरे में है मोबाइल
किसान आंदोलन में बच्चे सुबह ट्रॉलियों में बैठकर ऑनलाइन क्लास में हिस्सा लेते हैं तो दिन में आंदोलन में शामिल हो जाते हैं। वह किसी ना किसी तरह से पिता का साथ देते हैं। खाना बनाने से लेकर अन्य कामों में मदद कर रहे हैं। उनको ज्यादा कुछ तो पता नहीं है लेकिन वह कहते हैं कि कुछ भी हो, परिवार का साथ देना हमारा फर्ज है।

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धरती मां की रक्षा करने आंदोलन में आए हैं बच्चे
आंदोलन में कुछ बच्चे पिता के साथ आए हैं तो कुछ अपने बापू की जगह विरोध कर रहे हैं। उनके हाथ में कॉपी-पेन और मोबाइल होता है। जब भी समय मिलता तो पढ़ाई करने लग जाते। एक बच्चे सुखबीर का कहना है कि यहां बॉर्डर पर नेटवर्क की समस्या होती है। लेकिन धरती हमारी मां है, हम उसकी रक्षा करने इस आंदोलन में आए हैं, लेकिन पढ़ाई भी नहीं छोड़ सकते।

नोएडा-दिल्ली के चिल्ला बॉर्डर पर धरना
सरकार से बातचीत नाकाम होने के बाद किसानों ने अपना आंदोलन तेज कर दिया है। किसान नोएडा-दिल्ली के चिल्ला बॉर्डर (Chilla Border) पर धरना दे रहे हैं। ऐसे में आज नोएडा से दिल्ली और दिल्ली से नोएडा जाने वाले लोगों के लिए मुश्किल बढ़ सकती है। दिल्ली पुलिस ने टेकरी, झाड़ौदा और चिल्ला बॉर्डर को यातायात के लिए बंद कर दिया है।

3 कानून कौन से हैं, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं
1- किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020  (The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020)

अभी क्या व्यवस्था- किसानों के पास फसल बेचने के ज्यादा विकल्प नहीं है। किसानों को एपीएमसी यानी कृषि उपज विपणन समितियों  में फसल बेचनी होती है। इसके लिए जरूरी है कि फसल रजिस्टर्ड लाइसेंसी या राज्य सरकार को ही फसल बेच सकते हैं। दूसरे राज्यों में या ई-ट्रेडिंग में फसल नहीं बेच सकते हैं।

नए कानून से क्या फायदा- 
1- नए कानून में किसानों को फसल बेचने में सहूलियत मिलेगी। वह कहीं पर भी अपना अनाज बेच सकेंगे। 
2- राज्यों के एपीएमसी के दायरे से बाहर भी अनाज बेच सकेंगे। 
3- इलेक्ट्रॉनिग ट्रेडिंग से भी फसल बेच सकेंगे। 
4- किसानों की मार्केटिंग लागत बचेगी। 
5- जिन राज्यों में अच्छी कीमत मिल रही है वहां भी किसाने फसल बेच सकते हैं।
6- जिन राज्यों में अनाज की कमी है वहां भी किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिल जाएगी।

2- किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill 2020)

अभी क्या व्यवस्था है- अभी कोल्ड स्टोरेज, गोदामों और प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट में निवेश कम होने से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता। अच्छी फसल होने पर किसानों को नुकसान ही होता है। फसल जल्दी सड़ने लगती है।

नए कानून से क्या फायदा-  
1- नई व्यवस्था में कोल्ड स्टोरेज और फूड सप्लाई से मदद मिलेगी जो कीमतों की स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी। 
2- स्टॉक लिमिट तभी लागू होगी, जब सब्जियों की कीमतें दोगुनी हो जाएंगी।  
3- अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया है। 
4- युद्ध, प्राकृतिक आपदा, कीमतों में असाधारण वृद्धि और अन्य परिस्थितियों में केंद्र सरकार नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगी।
 

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