दुखद है इस अन्नदाता की कहानी: होने वाली थी शादी..सगाई भी हो गई, लेकिन धरती मां के लिए दी जान..

Published : Feb 26, 2021, 09:42 PM IST
दुखद है इस अन्नदाता की कहानी: होने वाली थी शादी..सगाई भी हो गई, लेकिन धरती मां के लिए दी जान..

सार

 बरनाला जिले के जैमल सिंह वाला गांव के किसान ने सतवंत सिंह ने अपने ही घर में दुखी होकर पंखे से फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। मृतक के परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। वह एक माह बाद बहू लाने की तैयार कर रहे थे। उनके बेटे की शादी होने वाली थी। लेकिन सब लुट गया और खुशियों से पहले ही मातम छा गया।


बरनाला (पंजाब). कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है,  3 महीने होने के बावजूद भी किसान अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं। इस बीच किसानों की आत्महत्या करने का सिलसिला भी नहीं रुक रहा है। गुरुवार देर रात पंजाब के बरनाला से मार्मिक खबर सामने आई है। जहां 25 साल के युवा किसान ने अपनी धरती माता के हक के लिए लड़ते-लड़ते आत्महत्या कर ली। सबसे दुखद यह बात यह है कि उसकी एक माह बाद शादी होने वाली थी। सगाई भी हो चुकी थी, होने वाली दुल्हन सपने सजोए बैठी थी। लेकिन सब कुछ इस आंदोलन में खत्म हो गया।

माता-पिता कर रहे थे शादी की तैयारी..बेटा दुनिया को कह गया अलविदा
दरअसल, बरनाला जिले के जैमल सिंह वाला गांव के किसान ने सतवंत सिंह ने अपने ही घर में दुखी होकर पंखे से फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। मृतक के परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। वह एक माह बाद बहू लाने की तैयार कर रहे थे। उनके बेटे की शादी होने वाली थी। लेकिन सब लुट गया और खुशियों से पहले ही मातम छा गया।

दो एकड़ जमीन की रक्षा की  खातिर दी जान
गांव के सरपंच सुखदीप सिंह ने बताया कि सतवंत सिंह पिछले 5 महीने से किसान आंदोलन में मोदी सरकार के लाए कानून का विरोध कर रहा था। उसके पास महज दो एकड़ जमीन थी, जिसकी रक्षा की खातिर उसने अपनी जान दे दी। सतवंत खेती के साथ-साथ लकड़ी का काम भी करता था। घर में उसकी तीन भाई बहन हैं और एक भाई है जो कि सेना में फौजी है। परिजनो ने बताया कि उनका बेटा आंदोलन और तीनों कानून से बहुत दुखी था। वह मानसिक तनाव में आ गया था। जनवरी में हमने उसकी सगाई कर दी थी, लेकिन पता नहीं था कि वह ऐसा कर जाएगा।

आंदोलन में 200 ज्यादा किसानों की हो चुकी मौत
बता दें कि अब तक किसान आंदोलन में 200 से ज्यादा मौत हो चुकी है। इसके बावजदू भी किसान पीछे नहीं हट रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक तीनों कानून वापस नहीं होते वह डटे रहेंगे। जिसमें कुछ किसानों ने आत्महत्या की है। तो वहीं कइयों की धरने को दौरैन ठंड या दिल के दौरे की वजह से मौत हो गई। 

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