कौन हैं जयवीर शेरगिल जिन्होंने थामा BJP का हाथ, आखिर क्यों सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस से दामन छुड़ा रहे नेता

तीन महीने पहले कांग्रेस छोड़ने वाले जयवीर शेरगिल (Jaiveer Shergil) ने 2 दिसंबर को आखिरकार बीजेपी का हाथ थाम लिया। बीजेपी में शामिल होते ही पार्टी ने उन्हें फौरन राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिया है। बता दें कि जयवीर शेरगिल अगस्त से पहले तक कांग्रेस पार्टी के सबसे युवा प्रवक्ताओं में से एक थे।

Ganesh Mishra | Published : Dec 2, 2022 2:25 PM IST

Who is Jaiveer Shergill: तीन महीने पहले कांग्रेस छोड़ने वाले जयवीर शेरगिल (Jaiveer Shergill) ने 2 दिसंबर को आखिरकार बीजेपी का हाथ थाम लिया। बीजेपी में शामिल होते ही पार्टी ने उन्हें फौरन राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिया है। बता दें कि जयवीर शेरगिल अगस्त से पहले तक कांग्रेस पार्टी के सबसे युवा प्रवक्ताओं में से एक थे। 39 साल के जयवीर शेरगिल ने इस्तीफा देते समय कांग्रेस पार्टी पर कई बड़े आरोप लगाए थे। जयवीर ने साफ कहा था कि चाटुकारिता दीमक की तरह कांग्रेस पार्टी को खा रही है। 

कौन हैं जयवीर शेरगिल?
जयवीर शेरगिल का जन्म 28 जून, 1983 को पंजाब के जालंधर में हुआ। उनकी गिनती कांग्रेस के सबसे युवा प्रवक्ताओं में होती थी। जालंधर से स्कूल पढ़ाई कम्प्लीट करने के बाद जयवीर ने कोलकाता में पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया। उन्होंने 2006 में यहां से लॉ में ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने यूसी बर्कले स्कूल ऑफ लॉ, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से कानून में मास्टर्स की डिग्री ली।

बतौर एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट में की प्रैक्टिस : 
जयवीर शेरगिल ने सुप्रीम कोर्ट में बतौर एडवोकेट प्रैक्टिस की। 2008 में वो सीनियर एडवोकेट और कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी के साथ भी काम कर चुके हैं। शेरगिल ने वोडाफोन और टाटा समूह जैसे उद्योग के दिग्गजों का प्रतिनिधित्व किया है। कांग्रेस पार्टी छोड़ने से पहले जयवीर ने वहां राष्ट्रीय मीडिया पैनलिस्ट, पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता और पार्टी की पंजाब यूनिट की लीगल सेल के को-चेयरमैन के रूप में भी काम किया है।

इस्तीफे के बाद लिखी थी सोनिया गांधी को चिट्ठी : 
जयवीर शेरगिल ने इस्तीफे के समय तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था- मुझे ये कहते हुए बेहद दुख हो रहा है कि पार्टी में फैसले लेना अब जनता और देश के हितों के लिए नहीं, बल्कि उन लोगों के हितों से प्रभावित है, जो न सिर्फ चाटुकारिता में डूबे हुए हैं बल्कि जमीनी हकीकत को भी अनदेखा कर रहे हैं। पार्टी में आए दिन हो रहे इस्तीफे खुद बता रहे हैं कि कांग्रेस में असंतोष किस कदर बढ़ रहा है। 

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