25 दिसंबर को ग्रहों का सेनापति मंगल बदलेगा राशि, क्या होगा आपकी राशि पर असर?

25 दिसंबर, बुधवार को ग्रहों का सेनापति मंगल राशि बदलेगा। मंगल मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार मंगल की शुभ-अशुभ स्थिति की वजह से भूमि से संबंधित काम खासतौर पर प्रभावित होते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Dec 23, 2019 4:22 AM IST

उज्जैन. 25 दिसंबर को ये ग्रह तुला राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा। इस राशि परिवर्तन का असर सभी 12 राशियों पर होगा। यहां जानिए सभी राशियों के लिए मंगल का राशि परिवर्तन कैसा रहने वाला है...

मेष- इस राशि के लिए समय अच्छा रहेगा। मित्रों का और परिवार का सहयोग मिलेगा एवं धार्मिक कर्म करेंगे। पूजा-पाठ में मन लगेगा।
वृषभ- धन-धान्य में वृद्धि होगी। कार्य समय पर संपन्न होंगे। प्रसन्नता बनी रहेगी।
मिथुन- आपके लिए मंगल का राशि परिवर्तन शुभ रहने वाला है। आय बढ़ेगी और घरेलु सुख प्राप्त होंगे।
कर्क- मंगल की वजह से कोई बड़ा लाभ के मिलने की संभावनाएं हैं। स्वास्थ्य में लाभ होगा। परिवार में कुशलता बनी रहेगी।
सिंह- पुराने समय से चली आ रही परेशानियां दूर होंगी। कामकाज में फिर से गति में आ सकती है।
कन्या- कर्ज से छुटकारा मिलने के आसार बनेंगे। संबंधियों से मान-सम्मान मिलेगा।
तुला- आपकी परेशानियों का अंत होगा। लाभ की स्थिति उत्तम होगी। अपने कार्यों के प्रति ईमानदार रहेंगे।
वृश्चिक- अब इस राशि के लोगों को राहत महसूस होगी। किसी बड़े काम के होने की संभावनाएं हैं। कर्ज से छुटकारा मिलेगा।
धनु- मंगल के राशि बदलने से आपके लिए समय अच्छा रहेगा। धन की प्राप्ति होगी। धर्म लाभ होगा।
मकर- परिवार से लाभ होगा और मतभेद समाप्त होंगे। नवीन वस्त्राभूषणों को प्राप्ति होगी।
कुंभ- पारिवारिक माहौल में सुधार होगा। बीमारियों से रक्षा होगी। नए व्यापार की शुरुआत होगी।
मीन- व्यापार में आवश्यक पुंजी की व्यवस्था हो जाएगी। नए काम आरंभ होंगे।
 

Latest Videos

Share this article
click me!

Latest Videos

Ratan Tata को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे मुकेश औऱ नीता अंबानी #Shorts
Ratan Tata के अंतिम दर्शन करने पहुंचा उनका ये 'लाडला', यह देख हर आंख नम
कार्टन से भरे कमरे में CM Atishi ने किया काम, आप ने शेयर किया VIDEO
अजीब किस्सा: माता-पिता के होते हुए भी क्यों अनाथालय भेजे गए थे Ratan Tata
रतन टाटा का अंतिम संस्कारः क्या है पारसी परंपरा 'दख्मा'?