यहां बिना दूल्हे के निकलती है बारात, दुल्हन के साथ 7 फेरे लेती है उसकी की बहन, जानें इस अजीब परंपरा के बारे मे

शादी ब्याह में अलग-अलग परंपराएं निभाई जाती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी अनोखी परंपरा के बारे में बताते हैं, जहां पर बिना दूल्हे की बारात निकलती है और दुल्हन के साथ 7 फेरे भी दूल्हे की बहन लेती है।

Asianet News Hindi | / Updated: Aug 04 2022, 07:00 AM IST

रिलेशनशिप डेस्क: हमारे देश में कई तरह से शादी होती है। हर समाज में शादी की अलग-अलग रस्में निभाई जाती हैं। लेकिन आज हम आपको शादी की एक ऐसी अजीबोगरीब परंपरा के बारे में बताते है, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। दरअसल, मध्य प्रदेश की सीमा पर बसे हुए आदिवासी गांवों में शादी के लिए दूल्हे की बारात तो निकाली जाती है लेकिन बिना दूल्हे के। वहीं, जब दूल्हा दुल्हन की शादी होती है तो दूल्हे से पहले दुल्हन के साथ उसकी बहन सात फेरे लेती है...

दूल्हे की बहन लेकर जाती है बारात
मध्य प्रदेश की सीमा पर बसे आदिवासी इलाकों अंबाला, सुरखेडा व सनेडा गांवों में सदियों से यह परंपरा चली आ रही है कि जब शादी के लिए बारात निकाली जाती है तो उसमें दूल्हा नहीं जाता है। बल्कि दूल्हे के जगह बारात लेकर उसकी बहन पहुंचती है। इतना ही नहीं यहां पर दुल्हन के साथ सात फेरे दूल्हा नहीं बल्कि दूल्हे की बहन ही लेती है। मध्य प्रदेश से सटे आदिवासी समुदाय में आज भी यह रिवाज निभाया जाता है।

क्या है इसके पीछे की मान्यता
इस आदिवासी समुदाय के लोगों का मानना है कि अंबाला गांव के पास दाहिनी ओर पर एक पहाड़ी पर देवता भरमादेव का निवास होता है और यह आदिवासी समुदाय के आराध्य हैं। कहा जाता है कि भरमादेव कुंवारे थे और इसी कारण अंबाला, सुरखेडा व सनेडा गांव में कोई युवक अपनी बारात लेकर नहीं जाता है। नहीं तो उसकी मौत हो जाती है। भरमादेव के प्रकोप से बचने के लिए दूल्हे की बहन बारात लेकर जाती है और दुल्हन के साथ पहले सात फेरे वह लेती है।

तीन युवकों की हो चुकी है मौत 
गांव वालों का कहना है कि इस परंपरा को कुछ साल पहले तीन युवकों ने तोड़ दिया था और खुद अपनी बारात लेकर पहुंचे थे। लेकिन किसी कारणवश तीनों युवकों की मौत हो गई। लोग इसे भरमादेव का प्रकोप ही कहते हैं और इससे बाद से कभी किसी युवक ने अपनी बारात नहीं निकाली है।

शादी तय होने के बाद घर से नहीं निकलता दूल्हा 
अक्सर आपने देखा होगा कि शादी की रस्में शुरू होने के बाद दुल्हन घर से बाहर नहीं निकलती है। लेकिन इस समुदाय में शादी की तारीख तय होने के बाद दूल्हा घर से बाहर नहीं निकलता है। जब उनकी शादी होती है तो बहन के फेरे लेने के बाद जब गांव की सीमा पर दुल्हन पहुंचती है, तो फिर दूल्हा उसके साथ विधिवत तरीके से शादी करता है और दुल्हन को घर लेकर आता है।

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