यहां सुहागरात की रात दूल्हा-दुल्हन के कमरे के बाहर बैठता है पूरा गांव, सुबह होता है ये शर्मनाक काम

हम 21वीं सदी में पहुंच गए हैं, लेकिन महिलाओं को लेकर जो सोच आदिमकाल से बनी थी वो आज भी बरकरार है। आज भी हम शादी से पहले महिलाओं के वर्जिन होने को लेकर सवाल करते हैं। हद तो तब हो जाती है जब पूरा समाज इस पर बात करती है।

Asianet News Hindi | Published : Jul 17, 2022 5:38 AM IST / Updated: Jul 17 2022, 01:02 PM IST

रिलेशनशिप डेस्क. राम से शादी करने...साथ रहने के बाद भी सीता मईया को अग्नि परीक्षा देने पड़ी थी। ये अग्नि परीक्षा का रिवाज 21 सदीं में भी जारी है। महिलाओं को लेकर आज भी वहीं सोच कायम है जो आदिमकाल से बनी हुई है। हालांकि अब औरतें आगे बढ़कर आवाज उठा रही हैं। लेकिन कुछ समुदाय में ये सोच आज भी बनी हुई है। जहां शादी के बाद या शादी से पहले लड़की को वर्जिनिटी टेस्ट देना पड़ता है। 

कंजरभाट समुदाय में होता है ये शर्मनाक काम

महाराष्ट्र के कंजरभाट समुदाय में इसे लेकर बेहद ही शर्मनाक नियम हैं। यहां सफेद चादर पर खून के धब्बे को दिखाकर अपना कौमार्य साबित  करना पड़ता है। बताया जाता है कि शादी के बाद दूल्हा-दुल्हन सुहागरात मनाते हैं। सुबह में पूरा गांव इक्ट्ठा होता है। सफेद चादर पर लगे खून के निशान देखने के बाद पंचायत लड़के से पूछती है कि तुम्हें जो माल दिया गया  वो कैसे था। अगर लड़की वर्जिन थी वो दूल्हा कहता है तीन बार ‘खरा’ बोलता है। अगर लड़की वर्जिन नही थी तो लड़का तीन बार ‘खोटा’ बोलता है। 

वर्जिन नहीं होने पर दुल्हन पर की जाती है हिंसा

अगर लड़की वर्जिन नहीं हुई तो फिर उस पर जुल्म की बौछार होने लगती है। परिवार और रिश्तेदार उसके साथ मारपीट करते हैं। अगर कोई इस नियम कायदे को नहीं मानता है तो उसे समुदाय से बाहर कर दिया जाता है। 

लड़कियां करा रही हैं सीक्रेट सर्जरी

ये सिर्फ इस समुदाय की बात नहीं है। हर समाज में महिलाओं की पवित्रता इसी से साबित करने की कोशिश की जाती है। इसी सोच की वजह से डॉक्टर से लेकर प्रोडक्ट मालिक का व्यवसाय फल फूल रहा है। लड़कियों पर वर्जिन होने का इतना दबाव होता है कि वो सर्जरी कराती है। या फिर उन प्रोडक्ट का इस्तेमाल करती है जो दावा करता है कि इससे आप वर्जिन महसूस कर सकती हैं।

इस वजह से कौमार्य टूटता है

भारत में कुंवारी दिखाने के लिए जो सर्जरी कराई जाती है उसका खर्चा 15 से 60 हजार के बीच होता है। जबकि विदेशों में 2 लाख से ज्यादा चला जाता है। लोग यह समझ ही नहीं पाते हैं कि कौमार्य (Hymen)  सिर्फ शारीरिक संबंध बनाने से नहीं बल्कि साइकिल चलाने, घोड़े दौड़ाने या फिर खेलने कूदने की वजह से भी टूटती है।  

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