नीता अंबानी आज दुनिया की सबसे मजबूत महिला के रूप में शुमार है। अपनी शर्तों पर मुकेश अंबानी की पत्नी बनने वाली नीता एक मध्यमवर्गीय फैमिली से आती थी। एक स्कूल टीचर कैसे बनीं धीरूभाई अंबानी की बहू आइए जानते हैं।
रिलेशनशिप डेस्क: हर रिश्ते में ईमानदारी , सम्मान और प्यार का होना जरूरी है। इसके बिना रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं चल सकता है। अगर आगे बढ़ता भी है तो वो कड़वाहट से भरा होता है। लेकिन नीता अंबानी और मुकेश अंबानी के शादी के 36 साल से ज्यादा हो चुके हैं। लेकिन दोनों के बीच आज भी पहले की तरह प्यार और सम्मान बना हुआ है। 8 मार्च 1985 को धीरूभाई अंबानी के घर नीता अंबानी बहू बनकर आई थी। उन्होंने तमाम पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाते हुए अपने ख्वाहिश को भी पूरा किया।
जी हां शादी से पहले नीता की रूची जिस चीज में थी उन्होंने उसे छोड़ा नहीं। बल्कि उसी शर्त पर उन्होंने शादी भी की। दरअसल, नीता अंबानी को पढ़ाने का शौक था। वो एक स्कूल में 800 की सैलरी पर बच्चों को पढ़ाती थीं। वो मिडल क्लास की फैमिली से ताल्लुक रखती थी। घर की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ वो अपने शौक को भी बच्चों को शिक्षा देकर पूरा करती थीं।
स्कूल में पढ़ाने की शर्त नीता ने मुकेश अंबानी के सामने रखी थी
नीता अंबानी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने मुकेश के सामने शर्त रखी थी कि वो शादी के बाद पढ़ाना नहीं छोड़ेगी। अगर वो स्कूल में पढ़ाने की इजाजत देगे तभी शादी के लिए हां करेंगी। एक अमीर परिवार की बहू बनने का प्रस्ताव मिलने के बाद भी नीता अपने शौक को खत्म नहीं करना चाहती थीं। जब मुकेश अंबानी ने उनके शर्त को माना तभी उन्होंने शादी के लिए हां की। शादी के बाद भी नीता स्कूल में पढ़ाना जारी रखा। आज वो धीरूभाई इंटरनेशनल स्कूल चलाती हैं।
घर की जिम्मेदारी को नीता अंबानी ने बखूबी निभाया
नीता अंबानी अपनी हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। जब उनके बच्चे हुए तो उन्होंने अपनी नौकरी को छोड़कर बच्चे की परवरिश में जुट गईं। कई सालों तक उन्होंने काम नहीं किया था। नीता अब स्कूल में पढ़ाती तो नहीं लेकिन अपने फैमिली बिजनेस में हाथ बंटाती हैं। इसके साथ सोशल वर्क भी करती हैं। उन्होंने गरीब बच्चों के लिए कई स्कूल खुलवाए हैं।
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