वर्जिनिटी टेस्ट में फेल होने पर दुल्हन को कर दिया जाता है न्यूड, दी जाती है खौफनाक सजा

आज भी महिलाओं को कई कुप्रथा से गुजरना पड़ता है। लड़कों के चरित्र के लिए जहां कोई मापदंड नहीं होता है। वहीं लड़कियों को वर्जिनिटी टेस्ट से गुजरना पड़ता है। अगर वो टेस्ट में फेल हो जाती हैं तो उन्हें कैरेक्टर लेस मानकर सजा दी जाती है।

रिलेशनशिप डेस्क. शादी को लेकर लड़कियों के मन में उत्साह से ज्यादा डर पल रहा होता है। वर्जिनिटी को लेकर वो ज्यादा सोचती है। पहली रात में उनका दूल्हा इसकी वजह से छोड़ तो नहीं देगा या फिर वो उसके कैरेक्टर पर इसे लेकर सवाल तो नहीं उठाएगा। हाइमन (hymen) सिर्फ सेक्स से ही नहीं टूटता है। उसके टूटने के कई कारण होते हैं, जैसे कूदना, साइकिल चलाना, टैम्पोन का इस्तेमाल करना आदि। लेकिन कुछ लोग आज भी हाइमन का टूटना सेक्स से जोड़कर देखते हैं। राजस्थान के भीलवाड़ा में ऐसे ही लोग रहते हैं।

यहां दुल्हन को देना पड़ता है वर्जिनिटी टेस्ट

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यहां पर सांसी समाज में दुल्हनों को वर्जिनिटी टेस्ट (virginity test) से गुजरना पड़ता है। अगर वो टेस्ट में फेल हो जाती हैं तो उनके साथ मारपीट तो की ही जाती है, साथ ही जुर्माना लगाया जाता है। उन्हें पवित्रता साबित करने के लिए दो अग्निपरीक्षा से भी गुजरना पड़ता है। वर्जिनिटी टेस्ट को कुकड़ी प्रथा कहा जाता है। दुल्हन बनकर आई हर लड़की को इससे गुजरना पड़ता है।

सफेद चादर पर लड़की को साबित करनी पड़ती है अपनी पवित्रता

लड़की जब शादी के बाद कमरे में दाखिल होती है तो सास, ननद उसकी तलाशी लेती है कि उसके पास पिन या लाल रंग तो नहीं है। इसके बाद सुहागरात के कमरे में सफेद चादर बिछाया जाता है। संबंध बनाने के बाद चादर पर लगे खून के निशान को समाज के लोगों को दिखाया जाता है। इससे लड़की की पवित्रता साबित मानी जाती है। अगर चादर पर खून के निशान नहीं मिलते हैं तो पति चिल्ला-चिल्ला कर कहता है कि उसकी पत्नी चरित्रहिन है। इसके बाद ससुरालवाले लड़की को नंगा करके मारते हैं और उसके यार का नाम पूछते हैं। इसके अगले दिन पंचायत बैठाई जाती है।

पवित्रता साबित नहीं होने पर देनी होती है अग्निपरीक्षा

लड़की के घरवालों को बुलाया जाता है और पंच उनपर लाखों रुपए का जुर्माना लगा देती है। जुर्माना से बचने के लिए लड़की को अपनी पवित्रता साबित करनी होती है। उसे दो मौका दिया जाता है। पहली अग्निपरीक्षा में लड़की को तालाब या नदी में खड़ा कर दिया जाता है। गांव का कोई एक आदमी 100 कदम चलता है। तब तक लड़की को सांस रोककर खड़ा रहना पड़ता है। अगर वो ऐसा नहीं कर पाती है तो वो पवित्र नहीं होती है। मायकेवालों को जुर्माना देना पड़ता है।

दूसरी अग्निपरीक्षा में पवित्रता साबित करने के लिए दुल्हन को अपने हाथ में पीपल का पत्ता रखना पड़ता है और उसके ऊपर गर्म तवा रखा जाता है। हाथ जल गया तो लड़की कैरेक्टर लेस होती है। इसकी भरपाई उसके परिवार को करना पड़ता है। यानी तय जुर्माना देना पड़ता है। ये भी कहा जाता है कि अगर दोनों परीक्षाओं में लड़की पास भी हो जाती है तो भी मायके वालों को आधा जुर्माना भरना पड़ता है।

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