अगहन मास 13 नवंबर से, इस महीने में शंख की पूजा करने से पूरी हो सकती है हर मनोकामना

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार 13 नवंबर, बुधवार से मार्गशीर्ष (अगहन) मास शुरू हो रहा है। यह महीना 12 दिसंबर, गुरुवार तक रहेगा। शास्त्रों में इस महीने को भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप कहा गया है।

Asianet News Hindi | Published : Nov 13, 2019 3:38 AM IST

उज्जैन. इस महीने में शंख पूजन का विशेष महत्व है। साधारण शंख को श्रीकृष्ण के पंचजन्य शंख के समान समझकर उसकी पूजा करने से सभी मनोवांछित फल प्राप्त हो जाते हैं। अगहन मास में शंख की पूजा इस मंत्र से करनी चाहिए-

पंचजन्य पूजा मंत्र
त्वं पुरा सागरोत्पन्न विष्णुना विधृत: करे।
निर्मित: सर्वदेवैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते।
तव नादेन जीमूता वित्रसन्ति सुरासुरा:।
शशांकायुतदीप्ताभ पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते॥

पुराणों के अनुसार, विधि-विधान से अगहन मास में शंख की पूजा की जानी चाहिए। जिस प्रकार सभी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, वैसे ही शंख का भी पूजा करें। इस मास में साधारण शंख की पूजा भी पंचजन्य शंख की पूजा के समान फल देती है।

शंख पूजा का महत्व...
- सभी वैदिक कामों में शंख का विशेष स्थान है। शंख का जल सभी को पवित्र करने वाला माना गया है, इसी वजह से आरती के बाद श्रद्धालुओं पर शंख से जल छिड़का जाता है।
- साथ ही शंख को लक्ष्मी का भी प्रतीक माना जाता है, इसकी पूजा महालक्ष्मी को प्रसन्न करने वाली होती है। इसी वजह से जो व्यक्ति नियमित रूप से शंख की पूजा करता है, उसके घर में कभी धन की कमी नहीं रहती।
- ऐसा माना जाता है समुद्र मंथन के समय शंख भी प्रकट हुआ था। विष्णु पुराण में बताया गया है कि देवी महालक्ष्मी समुद्र की पुत्री है और शंख को लक्ष्मी का भाई माना गया है। इन्हीं कारणों से शंख की पूजा भक्तों को सभी सुख देने वाली गई है।
 

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