प्रकाश पर्व आज: इसलिए मनाते हैं ये उत्सव, जीवन जीना सिखाते हैं सिख धर्म के ये 10 सिद्धांत

आज (12 नवंबर, मंगलवार) कार्तिक पूर्णिमा है। सिख समुदाय के लिए ये दिन बहुत ही विशेष है, क्योंकि इसी दिन सिखों के प्रथम गुरु नानकदेवजी की जयंती प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है।

Asianet News Hindi | Published : Nov 12, 2019 4:14 AM IST

उज्जैन. इस दिन गुरुद्वारों में शबद-कीर्तन किए जाते हैं। जगह-जगह लंगरों का आयोजन होता है और गुरुवाणी का पाठ किया जाता है।

जानिए गुरु नानक के बारे में
गुरू नानक सिखों के प्रथम गुरु (आदि गुरु) हैं। इनके अनुयायी इन्हें गुरु नानक, गुरु नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह नामों से संबोधित करते हैं। गुरु नानक अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु- सभी के गुण समेटे हुए थे।
इनका जन्म रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक गांव में कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था। तलवंडी का नाम आगे चलकर नानक के नाम पर ननकाना पड़ गया। लड़कपन ही से ये सांसारिक विषयों से उदासीन रहा करते थे। बचपन में कई चमत्कारिक घटनाएं घटी, जिन्हें देखकर गांव के लोग इन्हें दिव्य व्यक्तित्व मानने लगे।
1507 में गुरु नानक मरदाना, लहना, बाला और रामदास इन चार साथियों को लेकर तीर्थयात्रा के लिये निकल पड़े। 1521 तक इन्होंने तीन यात्रा चक्र पूरे किए, जिनमें भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के मुख्य मुख्य स्थानों का भ्रमण किया। जीवन के अंतिम दिनों में दान पुण्य, भंडारा आदि करने लगे। 22 सितंबर 1539 को को इनका परलोकवास हुआ।

सिख धर्म के दस सिद्धांत
गुरुनानकदेवजी ने अपने अनुयायियों को जीवन के 10 सिद्धांत दिए थे। ये सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है।

1. ईश्वर एक है। सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो।
2. जगत का कर्ता सब जगह और सब प्राणी मात्र में मौजूद है।
3. सर्वशक्तिमान ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता।
4. ईमानदारी से मेहनत करके उदरपूर्ति (पेट भरना चाहिए) करनी चाहिए।
5. बुरा काम करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएं।
6. सदा प्रसन्न रहना चाहिए।
7. ईश्वर से सदा अपने को क्षमाशीलता मांगनी चाहिए।
8. मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके उसमें से जरूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए।
9. सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं।
10. भोजन शरीर को जिंदा रखने के लिए जरूरी है, पर लोभ-लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है।

 

गुरुनानक देव के बाद सिखों के नौ गुरु और हुए। उनके नाम इस प्रकार हैं-
1. गुरु अंगद देव
2. गुरु अमर दास
3. गुरु राम दास
4. गुरु अर्जुनदेव
5. गुरु हरगोविंद सिंह
6. गुरु हर राय
7. गुरु हरकिशन सिंह
8. गुरु तेगबहादुर सिंह
9. गुरु गोविंद सिंह

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