यमराज के सहायक हैं चित्रगुप्त, भाई दूज पर होती है इनकी भी पूजा, ये हैं इनके 3 प्रमुख मंदिर

कार्तिक शुक्ल द्वितिया यानी भाई दूज (इस बार 29 अक्टूबर) को यमराज के साथ चित्रगुप्त की पूजा का भी विधान है। मान्यता है कि इस दिन चित्रगुप्त महाराज के दर्शन और पूजा करने से मनुष्यों को पापों की मुक्ति मिलती है।

उज्जैन. देश में भगवान यमराज के मंदिरों के बारे में तो कई लोग जानते होंगे, लेकिन कम ही लोग ये बात जानते हैं कि भारत में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं, जहां यमराज नहीं बल्कि भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। आज आपको बता रहे हैं भगवान चित्रगुप्त के ऐसे ही 3 मंदिरों के बारे में-

स्वामी चित्रगुप्त मंदिर, हैदराबाद
हैदराबाद में भगवान यमराज के सचिव चित्रगुप्त महाराज का लगभग 200 साल पुराना मंदिर है। यह मंदिर मुख्य रूप से चित्रगुप्त भगवान को ही समर्पित है। हिंदू धर्म की प्रचलित मान्यता है कि चित्रगुप्त ही सभी मनुष्यों के कर्मों का हिसाब रखते हैं। इसलिए ही यह मंदिर आंध्र प्रदेश में अपने कर्मों की क्षमा मांगने के लिए बहुत प्रसिद्ध है। लोग यहां पर जाने-अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए चित्रगुप्त भगवान से मांफी मांगने आते हैं। स्थानीय लोग चित्रगुप्त भगवान के इस मंदिर को महादेव देवालय के नाम से भी जानते हैं। यह मंदिर अपने इतिहास और महत्व के लिए हैदराबाद के मुख्य मंदिरों में से एक है।

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श्री धर्महरि चित्रगुप्त मंदिर, उत्तर प्रदेश
श्रीधर्महरि चित्रगुप्त मंदिर उत्तर प्रदेश के फैजाबाद नामक जगह पर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्वंय भगवान विष्णु ने इस मंदिर की स्थापना की थी और धर्मराज को दिये गए वरदान के फलस्वरुप ही धर्मराज के साथ इनका नाम जोड़कर इस मंदिर को श्रीधर्म-हरि मंदिर का नाम दिया है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि विवाह के बाद जनकपुर से वापिस आने पर श्रीराम-सीता ने सबसे पहले धर्महरिजी के ही दर्शन किये थे। साथ ही यहां ये भी माना जाता है कि अयोध्या आने वाले सभी तीर्थयात्रियों को श्रीधर्महरिजी के दर्शन जरूर करना चाहिये वरना उन्हें इस तीर्थ यात्रा का पुण्यफल प्राप्त नहीं होता।

चित्रगुप्त मंदिर, कांचीपुरम
कांचीपुरम में भगवान शिव के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि भगवान शिव के साथ-साथ यहां पर भगवान चित्रगुप्त का भी एक प्राचीन मंदिर स्थापित है, जो केवल भगवान चित्रगुप्त को समर्पित है। इस मंदिर में चित्रगुप्तजी को भगवान यमराज के छोटे भाई के रूप में पूजा जाता है। हर पूर्णिमा पर इस मंदिर में भक्तों की खास भीड़ नजर आती है। पूर्णिमा पर यहां विशेष मेले का भी आयोजन किया जाता है।

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