Ahoi Ashtami Vrat Katha In Hindi: क्यों किया जाता है अहोई अष्टमी व्रत? यहां पढ़ें रोचक कथा

Published : Oct 13, 2025, 09:11 AM IST
Ahoi Ashtami Vrat Katha In Hindi

सार

Ahoi Ashtami Vrat Katha In Hindi: 13 अक्टूबर, सोमवार को अहोई अष्टमी व्रत किया जाएगा। ये उत्तर भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। महिलाएं ये व्रत अपनी संतान की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन के लिए करती हैं।

Ahoi Ashtami Vrat Katha: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी व्रत किया जाता है। ये व्रत उत्तर भारत में अधिक लोकप्रिय है। ये व्रत वही महिलाएं करती हैं, जिनकी संतान है क्योंकि ये व्रत बच्चों की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए किया जाता है। इस व्रत में अहोई माता की पूजा की जाती है, जो देवी पार्वती का ही एक रूप है। इस व्रत में पूजा के बाद कथा सुनना जरूरी है। आगे जानिए अहोई अष्टमी व्रत की कथा…

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अहोई अष्टमी व्रत की कथा

किसी समय एक गांव में एक महिला रहती थी, उसके साथ पुत्र थे। एक बार दिवाली से पहले घर में लीपने-पोतन के लिए वह महिला मिट्टी लेने वन में गई। वहां एक टीले को देख कुदाल से खोदकर वह मिट्टी निकालने लगी। तभी उसने देखा कि उसके कुदाल पर खून लगा है।

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जब उसने हाथों से मिट्टी हटाई तो देखा कि सेही (कांटेदार चूहा) के छोटे बच्चे उसकी कुदाल की चोट से मर चुके थे। ये देख उसे बहुत दुख हुआ और वह बिना मिट्टी लिए ही घर लौट आई। बाद में जब सेही ने अपने बच्चों को मृत अवस्था में देखा तो उसने श्राप दिया कि ‘जिसने में मेरे बच्चों को मारा है, उसे भी अपनी संतान का वियोग सहना पड़ेगा।
इस घटना के एक वर्ष के अंदर ही उस महिला के सातों बेटे कहीं चले गए और लंबे समय तक लौट कर नहीं आए। लोग कहने लगे कि वो सातों किसी दुर्घटना का शिकार हो गए हैं। गांव वालों ने उस महिला के सभी पुत्रों को मृत मान लिया। महिला को ये सुनकर बहुत ही दुख हुआ।
बेटों के वियोग में दुखी होकर जब वह महिला नदी में कूदकर अपनी जान देने जा रही थी, तभी रास्ते में उसकी मुलाकात एक वृद्ध महिला से हुई। वृद्धा ने महिला की उदासी का कारण पूछा तो उसने सेही के बच्चों के मारे जाने और अपनी संतान से जुड़ी बातें सच-सच बता दी।
तब उस महिला ने कहा कि ‘तुम दीवार पर सेही का चित्र बनाकर, अहोई माता की पूजा करो। ऐसा करने से तुम्हारे तुम्हारे खोए हुए पुत्र तुम्हारे पास वापस लौट आएंगे। अहोई माता स्वयं देवी पार्वती का ही अवतार हैं। महिला ने कार्तिक कृष्ण अष्टमी पर अहोई माता की विधि-विधान से पूजा की।
महिला की भक्ति देखकर अहोई माता स्वयं प्रकट हो गईं और उन्होंने महिला के पुत्रों को लंबी उम्र का वरदान दिया। इस वरदान के फल से उस महिला के सातों पुत्र सकुशल वापस लौट आए। तभी से कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि पर अहोई माता की पूजा की जा रही है।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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