
हिंदू धर्म में अजा एकादशी व्रत काफी खास माना गया है। भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए ये व्रत रखा जाता है। अजा एकादशी का व्रत जो कोई भी रखता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा घर में सुख-शांति की भी प्राप्ति होती है। सारे बिगड़े हुए काम भी संवर जाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं रखा जाएगा अजा एकादशी का व्रत, क्या है शुभ मुहूर्त और व्रत की कथा।
एकादशी तिथि की शुरुआत 18 अगस्त को शाम 5:22 मिनट से होने वाली है। जोकि अगले दिन 19 अगस्त को दोपहर 3:32 मिनट तक रहने वाली है, इसीलिए अजा एकादशी का व्रत 19 अगस्त के दिन रखा जाने वाला है। वहीं, 20 अगस्त को व्रत का पारण किया जाएगा, जो कि सुबह 5:53 मिनट से 8:29 मिनट तक रहने वाला है।
-सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके पीले रंग के वस्त्र पहनें।
- एक वेदी पर भगवान विष्णु की मूर्ति को स्थापित करें और घी का दीपक जलाएं।
- फूल-माला चढ़ाने के बाद भगवान विष्णु को चंदन का तिलक लगाएं और तुलसी पत्र अर्पित करें।
-भगवान विष्णु को पंचामृत या फिर घर पर कोई भी मिठाई अर्पित कर सकते हैं।
- अजा एकादशी कथा का पाठ करें और श्री हरि के मंत्रों का जाप इस दिन जरूर करें।
- आरती करने के बाद सभी घरवालों को पंचामृत बांटें।
- जो लोग व्रत नहीं करना चाहते वो इस दिन चावल न खाएं।
- इसके अलावा तामसिक चीजों से दूरी बनाएं रखें।
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय की बात है जब चक्रवर्ती राजा हरिश्चंद्र की जिंदगी में ऐसी मुसीबत आई कि उनका सारा साम्राज्य बर्बाद हो गया। यहां तक की परिवार-बच्चे भी उनसे अलग हो गए। एक चांडाल का दासी बनने पर मजबूर हो गए। चांडाल लोग हमेशा सच बोला करते थे। उनका ये सोचना था कि वो कुछ ऐसा करना चाहते हैं जिससे राजा के परिवार का उद्धार हो जाए। एक समय सभी साथ में बैठे हुए थे। उस दौरान गौतम ऋषि का आगमन हुआ। उनके सामने हरिश्चंद्र ने अपनी सारी बातें रखीं। गौतम ऋषि ने उन्हें भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी व्रत करने की सलाह दी। साथ ही बताया कि इस व्रत को करने से उनके सारे पाप नष्ट हो जाएं। साथ ही परेशानियों का भी हल निकल जाएगा। इसके बाद हरिश्चंद्र ने विधिपूर्वक अजा एकादशी का व्रत रखना शुरू किया। साथ ही श्रीहरि का जागरण भी किया। अजा एकादशी व्रत रखने से हरिश्चंद्र की सारी परेशानियां खत्म हो गई और आसमान से फूलों की बारिश होने लगी। उन्हें अपना सारा साम्राज्य वापस मिल गया। वहीं मृत्यु के बाद उन्हें बैकुण्ठ में जगह मिली।
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"इस लेख में दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना के लिए है। एशियानेट हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है।"