Ram Lalla Aarti Lyrics In Hindi: कैसे उतारें राम लला की आरती? जानें स्टेप टू स्टेप पूरी प्रोसेस

Ram Mandir Ayodhya: 22 जनवरी, सोमवार को अयोध्या मंदिर में राम लला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। सिर्फ अयोध्या ही नहीं बल्कि पूरे देश में राम लला की पूजा की तैयारियां की जाती हैं। कईं स्थानों पर राम लला की महाआरती होगी।

 

Manish Meharele | Published : Jan 21, 2024 11:33 AM IST

Kaise Kare Ram Lalla Ki Aarti: 22 जनवरी, सोमवार को अयोध्या में बने नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में राम लला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश की कईं बड़ी हस्तियां शामिल होंगी। पूरे देश में इस दिन राम लला की पूजा-आरती की तैयारियां की जा रही हैं। ग्रंथों के अनुसार, राम लला की आरती करने से जीवन की अनेक परेशानियां दूर हो सकती हैं। आगे जानिए राम लला की आरती की विधि…

कैसे उतारें राम लाल की आरती? (Ram Lalla Ki Arti Ki Vidhi)
- धर्म ग्रंथों में देवी-देवता की आरती उतारने की विधि भी बताई गई है।
- उसके अनुसार, देव प्रतिमा की आरती 14 बार उतारनी चाहिए।
- सबसे पहले 4 बार चरणों पर से आरती घूमानी चाहिए।
- इसके बाद 2 बार नाभि पर से और 1 बार मुख पर से आरती घूमाएं।
- इसके बाद 7 बार पूरे शरीर पर से आरती उतारने का विधान है।
- इस प्रकार आरती उतारने से देवी की कृपा आप पर बनी रहेगी।
- राम लला की आरती भी इसी तरह से उतारें, इससे शुभ फल मिलेंगे।

राम लला की आरती (Ram Lalla Ki Aarti)
आरती कीजे श्रीरामलला की ।
पूण निपुण धनुवेद कला की ॥
धनुष वान कर सोहत नीके ।
शोभा कोटि मदन मद फीके ॥
सुभग सिंहासन आप बिराजैं ।
वाम भाग वैदेही राजैं ॥
कर जोरे रिपुहन हनुमाना ।
भरत लखन सेवत बिधि नाना ॥
शिव अज नारद गुन गन गावैं ।
निगम नेति कह पार न पावैं ॥
नाम प्रभाव सकल जग जानैं ।
शेष महेश गनेस बखानैं ॥
भगत कामतरु पूरणकामा ।
दया क्षमा करुना गुन धामा ॥
सुग्रीवहुँ को कपिपति कीन्हा ।
राज विभीषन को प्रभु दीन्हा ॥
खेल खेल महु सिंधु बधाये ।
लोक सकल अनुपम यश छाये ॥
दुर्गम गढ़ लंका पति मारे ।
सुर नर मुनि सबके भय टारे ॥
देवन थापि सुजस विस्तारे ।
कोटिक दीन मलीन उधारे ॥
कपि केवट खग निसचर केरे ।
करि करुना दुःख दोष निवेरे ॥
देत सदा दासन्ह को माना ।
जगतपूज भे कपि हनुमाना ॥
आरत दीन सदा सत्कारे ।
तिहुपुर होत राम जयकारे ॥
कौसल्यादि सकल महतारी ।
दशरथ आदि भगत प्रभु झारी ॥
सुर नर मुनि प्रभु गुन गन गाई ।
आरति करत बहुत सुख पाई ॥
धूप दीप चन्दन नैवेदा ।
मन दृढ़ करि नहि कवनव भेदा ॥
राम लला की आरती गावै ।
राम कृपा अभिमत फल पावै ॥


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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