Bach Baras 2023 Date: 11 सितंबर को करें बछ बारस व्रत, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व मंत्र

Bach Baras 2023 Kab hai:भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में बछ बारस का व्रत किया जाता है, इसे गोवत्स द्वादशी भी कहते हैं। इस दिन महिलाएं गाय के साथ उनके बछड़ों की पूजा भी करती हैं। इस व्रत से जुड़े कुछ खास नियम भी हैं।

 

Manish Meharele | Published : Sep 9, 2023 10:34 AM IST / Updated: Sep 11 2023, 08:14 AM IST

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बछ बारस (Bach Baras 2023 Date) का व्रत किया जाता है, इसे गोवत्स द्वादशी भी कहते हैं। जिन महिलाओं को पुत्र होता है, वही ये व्रत करती हैं। इस व्रत में गाय और उसके बछड़ों की पूजा विशेष रूप से की जाती है। ये व्रत पुत्र की लंबी उम्र के लिए किया जाता है। जानिए इस बार ये व्रत कब किया जाएगा और इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त आदि…

कब है बछ बारस? (Bach Baras 2023 Kab hai)
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि 10 सितंबर, रविवार की रात 09.28 से 11 सितंबर, सोमवार की रात 11.58 तक रहेगी। चूंकि द्वादशी तिथि का सूर्योदय 11 सितंबर, सोमवार को होगा, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। सोमवार को सर्वार्थसिद्धि, प्रजापति, सौम्य और शिव नाम के 4 शुभ योग रहेंगे। इन शुभ योगों में दिन भर में कभी भी गायों का पूजन किया जा सकता है।

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इस विधि से करें पूजा (Bach Baras 2023 Puja Vidhi)
- 11 सितंबर, सोमवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद उपयुक्त समय देखककर गाय (दूध देने वाली) को उसके बछडे़ सहित स्नान करवाएं।
- गाय और बछड़ों को नहलाने के बाद उन दोनों को नया वस्त्र ओढ़ाएं। फूलों की माला पहनाएं। गाय और बछड़े के माथे पर चंदन का तिलक लगाएं। मन ही मन कामधेनु का स्मरण करते रहें।
- बर्तन में चावल, तिल, जल, सुगंध मिलाकर, नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए गाय के पैर धोएं-
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:॥
- इसके बाद गाय के पैरों में लगी मिट्टी से अपने माथे पर तिलक लगाएं, इसके बाद गौ माता की आरती करें और बछ बारस की कथा सुनें। इस दिन गाय के दूध से बने उत्पाद जैसे दही, मक्खन आदि न खाएं।
- ये व्रत सिर्फ वही महिलाएं करती हैं जिनकी संतान पुत्र के रूप में हो। मान्यता है कि ऐसा करने से पुत्र की आयु लंबी होती है और उसे किसी तरह की कोई बीमारी भी नहीं होती।

गौ माता की आरती
आरती हरनि विश्वधैया की ||
अर्थकाम सद्धर्म प्रदायिनी,
अविचल अमल मुक्तिपद्दायिनी ||
सुर मानव सौभाग्याविधायिनी,
प्यारी पूज्य नन्द छैया की ||
अखिल विश्व प्रतिपालिनी माता,
मधुर अमिय दुग्धान्न प्रब्दाता ||
रोग शोक संकट परित्राता,
भवसागर हित दृढ़ नैया की ||
आयु ओज आरोग्यविकाशिनी,
दुःख दैन्य दारिद्रय विनाशिनी ||
सुष्मा सौख्य समृद्धि प्रकाशिनी,
विमल विवेक बुद्धि दैया की ||
सेवक हो चाहे दुखदाई,
सा पय सुधा पियावति माई ||
शत्रु-मित्र सबको सुखदायी,
स्नेह स्वभाव विश्व जैया की ||
आरती श्री गैया मैया की
आरती हरनि विश्वधैया की ||
अर्थकाम सद्धर्म प्रदायिनी,
अविचल अमल मुक्तिपद्दायिनी ||
सुर मानव सौभाग्याविधायिनी,
प्यारी पूज्य नन्द छैया की ||
अखिल विश्व प्रतिपालिनी माता,
मधुर अमिय दुग्धान्न प्रब्दाता ||
रोग शोक संकट परित्राता,
भवसागर हित दृढ़ नैया की ||
आयु ओज आरोग्यविकाशिनी,
दुःख दैन्य दारिद्रय विनाशिनी ||
सुष्मा सौख्य समृद्धि प्रकाशिनी,
विमल विवेक बुद्धि दैया की ||
सेवक हो चाहे दुखदाई,
सा पय सुधा पियावति माई ||
शत्रु-मित्र सबको सुखदायी,
स्नेह स्वभाव विश्व जैया की ||


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।


 

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