Chaitra Navratri 2024 Durga Chalisa: इस बार चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल, मंगलवार से शुरू हो रही है। इन 9 दिनों में देवी को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग उपाय किए जाते हैं। दुर्गा चालीसा का पाठ भी इन उपायों में से एक है।
chaitra navratri 2024: इस बार चैत्र मास की नवरात्रि 9 से 17 अप्रैल तक मनाई जाएगी। इस नवरात्रि में देवी को प्रसन्न करने के लिए रोज अलग-अलग तरह के उपाय किए जाते हैं। उज्जैन के ज्योतिाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, नवरात्रि मे रोज यदि विधि-विधान से दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाए तो हर तरह की परेशानी से बचा जा सकता है। आगे जानिए दुर्गा चालीसा के हिंदी लिरिक्स और…
दुर्गा चालीसा पाठ (Durga Chalisa Lyrics In Hindi)
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥
शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ संतन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपू मुरख मौही डरपावे॥
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।।
जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥
कैसे करें दुर्गा चालीसा का पाठ (Kaise Kare Durga Chalisa Paath)
- नवरात्रि में रोज सुबह स्नान आदि करने के बाद देवी की प्रतिमा या चित्र के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं और एक आसान पर बैठ जाएं।
- ये दीपक पाठ पूरा होने तक जलते रहना चाहिए। इसके बाद पूरी श्रद्धा से दुर्गा चालीसा का पाठ करते रहें।
- पाठ पूरा होने के बाद देवी को प्रणाम करें और मन में यदि कोई इच्छा है तो उसे पूरी करने के लिए प्रार्थना भी करें।
- इस तरह जो व्यक्ति नवरात्रि के दौरान प्रतिदिन दुर्गा चालीसा का पाठ करता है, उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
ये भी पढ़ें-
Chaitra Navratri 2024: एक साल में कितनी बार आती है नवरात्रि और ये कब-कब मनाई जाती है?
Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।