
What is Kharna in Chhath: छठ का महापर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड समेत कई राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। इस पवित्र पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है। छठ 25 अक्टूबर से शुरू होकर 28 नवंबर को समाप्त होगा। खरना, छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। खरना के दिन पूजा की जाती है और व्रत की शुरुआत होती है। खरना का व्रत 36 घंटे का होता है। अगर आप पहली बार छठ पूजा कर रहे हैं, तो आपके लिए खरना, उसका महत्व, अनुष्ठान और सामग्री को समझना ज़रूरी है। आइए खरना के बारे में विस्तार से जानें।
खरना पूजा 26 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्योदय सुबह 6:29 बजे और सूर्यास्त शाम 5:41 बजे होगा। इसलिए, आप शाम 5:41 बजे के बाद खरना पूजा और प्रसाद चढ़ा सकते हैं। इस शुभ मुहूर्त में खरना पूजा करने से सूर्य देव और छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
खरना प्रसाद छठ पूजा (खरना) के दूसरे दिन बनाया जाने वाला एक विशेष प्रसाद है, जिसमें गुड़ और चावल की खीर (जिसे रसियाव भी कहा जाता है) होती है। इस प्रसाद के साथ गेहूं के आटे की रोटी या पूरी भी बनाई जाती है। छठी मैया को भोग लगाने के बाद, व्रती इसे ग्रहण करते हैं, जिसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।
खरना के दिन, व्रती सूर्यास्त के बाद नए मिट्टी के चूल्हे पर पकाई गई गुड़-चावल की खीर खाते हैं। खरना के दिन प्रसाद के रूप में केले और गेहूं के आटे की रोटी या पूरी भी खाई जाती है। इन चीजों को खाने के बाद ही व्रती 36 घंटे का व्रत शुरू करते हैं।
छठ पूजा के दूसरे दिन खरना पूजा की जाती है। इस अनुष्ठान में, भक्त पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं। शाम को मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से खीर बनाई जाती है। पूजा के बाद, भक्त सबसे पहले खीर और रोटी खाते हैं। फिर खरना का प्रसाद परिवार के अन्य सदस्यों में वितरित किया जाता है। प्रसाद ग्रहण करने के बाद, 36 घंटे का व्रत शुरू होता है।
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Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।