Chhath Puja 2025: संध्या अर्घ्य का सही समय शाम 5:40 बजे, जानिए सर्यदेव को जल चढ़ाने के नियम

Published : Oct 27, 2025, 02:12 PM IST
Chhath Puja 2025

सार

छठ पूजा 2025 के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ समय शाम 5:40 बजे है। यह पूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। जल में लाल चंदन, पुष्प और सिंदूर मिलाकर "ॐ सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दें।

Chhath Puja 2025: आज छठ पूजा का तीसरा दिन है। इस दिन को सबसे पवित्र माना जाता है क्योंकि इसी दिन डूबते सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा है। यह दिन भक्ति, आस्था और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन व्रती महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को डूबते सूर्य को जल चढ़ाकर सूर्य देव और छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

शाम का अर्घ्य मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, छठ पूजा की शाम को डूबते सूर्य को जल चढ़ाने का सबसे अच्छा समय शाम 5:40 बजे है। इस दौरान सभी भक्त सूर्य को जल चढ़ा सकते हैं।

छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या की पूजा इस प्रकार की जाती है

छठ पर्व की संध्याकालीन पूजा अत्यंत विशेष मानी जाती है। इस दिन, भक्त अपने परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु और सुखी जीवन की कामना करते हैं। यह पूजा अत्यंत पवित्रता और सादगी के साथ की जाती है। महिलाएं स्नान करके, नए वस्त्र धारण करके, डूबते सूर्य की पूजा करने के लिए घाट या तालाब की ओर प्रस्थान करती हैं।

घाट पर पहुंचकर, महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर ठेकुआ, गुड़ की खीर, चावल, फल और गन्ने से प्रसाद तैयार करती हैं। यह प्रसाद एक बांस की टोकरी में रखा जाता है। सूर्य देव की पूजा के दौरान, महिलाएं जल में खड़ी होकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं। पूरा परिवार उनके साथ होता है और वे मिलकर छठी मैया को समर्पित गीत गाती हैं।

संध्या अर्घ्य का महत्व

छठ महापर्व के दौरान डूबते सूर्य को अर्घ्य देना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसे कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है। यह प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और जीवन के उतार-चढ़ाव को स्वीकार करने की भावना को दर्शाता है। मान्यताओं के अनुसार, यह अर्घ्य सूर्य देव की पत्नी प्रत्यूषा को समर्पित है, जो सूर्य की अंतिम किरण का प्रतीक हैं।

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सूर्य देव को जल चढ़ाने के ये हैं नियम

सूर्य को जल चढ़ाने के लिए सबसे पहले जल में लाल चंदन, सिंदूर और लाल फूल मिलाएँ। जल चढ़ाते समय सूर्य की किरणों पर ध्यान दें, ध्यान रखें कि वे हल्की हों और बहुत तेज़ न हों। अर्घ्य देते समय "ॐ सूर्याय नमः" मंत्र का 11 बार जाप करें। इसके बाद, सूर्य की ओर मुख करके सूर्य की तीन परिक्रमा करें।

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Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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