Chitragupta Puja 2025: चित्रगुप्त पूजा क्यों की जाती है? जानें पूजा विधि और कथा

Published : Oct 22, 2025, 04:25 PM IST
Chitragupta Puja 2025

सार

चित्रगुप्त पूजा 2025, भाई दूज, 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है और कलम-दवात की रस्म निभाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह व्रत बुद्धि, न्याय और आशीर्वाद प्रदान करता है। इसे करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।

Chitragupta Puja Significance: पांच दिवसीय दिवाली उत्सव के समापन पर, भाई-बहन के स्नेह का त्योहार भाई दूज मनाया जाता है। इस दिन चित्रगुप्त पूजा का धार्मिक अनुष्ठान भी किया जाता है। भक्त भगवान चित्रगुप्त की पूजा करते हैं, जिन्हें प्रत्येक आत्मा के अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाला देवता माना जाता है। भारत के कई हिस्सों, खासकर उत्तर भारत में, इस दिन को मास्य दान पूजा के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन लोग कलम और दवात की पूजा करते हैं। इन वस्तुओं को ज्ञान, बुद्धि और न्याय का प्रतीक माना जाता है।

चित्रगुप्त पूजा 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त

चित्रगुप्त पूजा 2025 गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। यह दिन भाई दूज के साथ भी मेल खाता है। यह दिन भगवान चित्रगुप्त को समर्पित है, जो मानव कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले दिव्य देवता हैं। यह पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को की जाती है।

चित्रगुप्त पूजा शुभ मुहूर्त

  • दिनांक: गुरुवार, 23 अक्टूबर, 2025
  • समय: दोपहर 1:32 से 3:51 बजे तक
  • अवधि: 2 घंटे 19 मिनट

चित्रगुप्त पूजा तिथि समय

  • द्वितीया तिथि प्रारंभ: 22 अक्टूबर, रात्रि 8:16 बजे
  • द्वितीया तिथि समाप्त: 23 अक्टूबर, रात्रि 10:46 बजे

चित्रगुप्त पूजा की विधि

  • घर की सफाई करें और उत्तर-पूर्व दिशा में एक छोटा सा प्रार्थना क्षेत्र बनाएं।
  • भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति या चित्र के साथ एक कलम, दवात और बहीखाता रखें।
  • फूल, चावल, चंदन, मिठाई और पान के पत्ते चढ़ाएं।
  • भगवान चित्रगुप्त के मंत्रों का जाप करें और ज्ञान, बुद्धि और धार्मिक कार्यों के लिए उनका आशीर्वाद लें।

चित्रगुप्त पूजा का आध्यात्मिक महत्व और लाभ

यह दिन ज्ञान, सत्य और नैतिक जिम्मेदारी का प्रतीक है। भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से ज्ञान, साहस, विवेक और व्यापार में सफलता मिलती है। यह दिन हमें अपने कार्यों के प्रति सचेत रहना सिखाता है। भक्तों का मानना ​​है कि भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से पिछले पाप धुल जाते हैं, कार्य में बाधाएं दूर होती हैं और समृद्धि आती है। व्यापारियों के लिए, यह दिन नए बहीखाते और लेखा-जोखा शुरू करने के लिए शुभ माना जाता है। चित्रगुप्त पूजा हमें याद दिलाती है कि दिवाली की रौनक केवल धन में ही नहीं, बल्कि ईमानदारी और धार्मिकता में भी निहित है।

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पौराणिक मान्यता है कि चित्रगुप्त का जन्म कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को हुआ था, इसलिए उनके जन्म के उपलक्ष्य में हर वर्ष इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, चित्रगुप्त भगवान ब्रह्मा के मन से उत्पन्न हुए थे। चित्रगुप्त को यमराज का सहायक माना जाता है। चित्रगुप्त को देवताओं का लेखापाल भी कहा जाता है।

क्या है पौराणिक मान्यता 

चित्रगुप्त की पूजा कई अन्य कारणों से भी की जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, अपनी बहन यमुना के आतिथ्य से प्रसन्न होकर यमराज ने उन्हें वरदान दिया था: जो कोई भी भाई दूज या यम द्वितीया के दिन अपनी बहन के घर जाएगा, उसके माथे पर तिलक लगाएगा और उसके हाथ का बना भोजन करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। चूँकि चित्रगुप्त यमराज के सहायक हैं, इसलिए भाई दूज के दिन उनकी पूजा की जाती है। भगवान चित्रगुप्त कलम और दवात की सहायता से सभी प्राणियों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। इसलिए इस दिन कलम, दवात और बहीखातों की भी पूजा की जाती है। इस दिन चित्रगुप्त की पूजा करने वालों को ज्ञान, बुद्धि, साहस और लेखन कौशल की प्राप्ति होती है। साथ ही, उनके व्यवसाय में उन्नति की भी संभावना रहती है।

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Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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