Vinayaka Chaturthi 2025: विनायक चतुर्थी कब? जानिए शुभ मुहूर्त और मंत्र

Published : Oct 22, 2025, 02:28 PM IST
Vinayaka Chaturthi 2025

सार

Vinayaka Chaturthi 2025: विनायक चतुर्थी 25 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह पर्व भगवान गणेश की पूजा और व्रत को समर्पित है। प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में पूजा शुरू करें, मंत्रों का जाप करें और मोदक व लड्डू का भोग लगाएं। यह व्रत सभी बाधाओं को दूर करता है।

Vinayaka Chaturthi 2025: हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसी प्रकार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की भक्तिपूर्वक पूजा करने और व्रत रखने का संकल्प लेने से भगवान गणेश सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और कार्यों में आने वाली बाधाओं का निवारण करते हैं। कार्तिक माह में विनायक चतुर्थी की तिथि, मंत्र और शुभ मुहूर्त के बारे में जानें।

विनायक चतुर्थी 2025 शुभ मुहूर्त

विनायक चतुर्थी व्रत कार्तिक माह की शुक्ल चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 25 अक्टूबर 2025 को प्रातः 1:19 बजे से प्रारंभ होकर 26 अक्टूबर को प्रातः 3:48 बजे समाप्त होगी। चतुर्थी तिथि पर चंद्रमा का दर्शन करें और विनायक चतुर्थी व्रत का संकल्प लें।

  • ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 4:46 से 5:37 बजे तक।
  • विजय मुहूर्त - दोपहर 1:57 से 2:42 बजे तक।
  • गोधुली मुहूर्त - सायं 5:42 से 6:07 बजे तक।
  • निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:40 से 12:31 बजे तक।

विनायक चतुर्थी पूजा विधि (Vinayak Chaturthi 2025 Puja Vidhi)

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  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें
  • शुभ मुहूर्त पर पूजा आरंभ करें और बप्पा की मूर्ति को पाटे पर स्थापित करें
  • सबसे पहले भगवान गणेश का गंगाजल से अभिषेक करें
  • बप्पा को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें
  • सिन्दूर और चंदन का तिलक लगाएं
  • भगवान गणेश को फूल चढ़ाएं
  • बप्पा को दूर्वा चढ़ाएं और मोदक-लड्डुओं का भोग लगाएं
  • भगवान गणेश का ध्यान करें और गणेश चालीसा का पाठ करें और मंत्रों का जाप करें
  • भगवान गणेश की आरती करके पूजा संपन्न करें। किसी भी गलती के लिए क्षमा मांगें

गणेश जी के मंत्र

ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु में देव, सर्वदा कार्यं सर्वदा।

गणेश जी के मंत्र

ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दंतिः प्रचोदयात् ॥

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गणेश जी के मंत्र

'गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदाष्ट्री त्र्यम्बकः।

नीलग्रीवो लम्बोदारो विकटो विघ्रराजक:।

धूम्रवर्णो भालचंद्रो दशमस्तु विनायक:।

गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम्।

Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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